B.ed D.El.ed नए नियम: शिक्षक बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने 2025 में B.Ed और D.El.Ed कोर्स को लेकर नए नियमों की घोषणा कर दी है। इन बदलावों का मकसद है शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करना और भविष्य के शिक्षकों को अधिक व्यावसायिक रूप से तैयार करना।
NCTE के नए दिशा-निर्देशों के तहत अब कोई भी छात्र B.Ed और D.El.Ed को एक साथ नहीं कर सकेगा। पहले छात्र समय और पैसा बचाने के लिए दोनों को एक साथ कर लेते थे, लेकिन अब इसे रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। यह बदलाव शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
अब B.Ed और D.El.Ed कोर्स की इंटर्नशिप की अवधि को बढ़ाया गया है ताकि छात्रों को अधिक कक्षा अनुभव मिल सके। इसके साथ ही प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को भी कोर्स का अभिन्न हिस्सा बना दिया गया है। इससे प्रशिक्षु शिक्षक शिक्षा संस्थानों में ज्यादा समय बिताएंगे और व्यावहारिक रूप से बेहतर तैयारी कर सकेंगे।
नए नियमों के मुताबिक, अब छात्र केवल उन्हीं संस्थानों में D.El.Ed या B.Ed कर सकेंगे जो NCTE से मान्यता प्राप्त होंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक प्रशिक्षण केवल गुणवत्ता वाले संस्थानों में ही दिया जाए। संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण पद्धतियों को समय के अनुसार अपडेट करना होगा।
NCTE के नए नियमों में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू को अनिवार्य किया गया है। अब छात्रों को इन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा ताकि केवल योग्य और कुशल अभ्यर्थियों का ही चयन हो सके। इसके अलावा हिंदी और अंग्रेजी में दक्षता और बेसिक कंप्यूटर स्किल्स को भी जरूरी पात्रता में शामिल किया गया है।
अब B.Ed कोर्स में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और अधिकतम 35 वर्ष तय की गई है। आरक्षित वर्गों को आयु में नियमानुसार छूट मिलेगी। इसके अलावा D.El.Ed और B.Ed की अवधि संस्थान और कोर्स संरचना के अनुसार 1 वर्ष या 2 वर्ष हो सकती है।
इन बदलावों की सबसे बड़ी वजह यह रही कि पहले छात्र बिना समर्पण के दोनों कोर्स एक साथ कर लेते थे जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता था। अब एक समय में केवल एक कोर्स की अनुमति दी गई है ताकि छात्र पूरी निष्ठा से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें और शिक्षक बनने के लिए पूरी तरह तैयार हों।
इन नियमों के लागू होने से शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों पर भी असर पड़ेगा। अब संस्थाओं को प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बनाए रखना अनिवार्य होगा और उन्हें इंटर्नशिप की बढ़ी हुई अवधि के अनुसार छात्रों को कक्षा में अधिक समय देना होगा। इससे संस्थाओं की जवाबदेही भी बढ़ेगी।
अब उन छात्रों को ज्यादा सोच-समझकर करियर की योजना बनानी होगी जो शिक्षक बनना चाहते हैं। एक साथ दो कोर्स न करने का नियम लागू होने से उन्हें पहले यह तय करना होगा कि किस कोर्स को प्राथमिकता देनी है। हालांकि इससे उनका शैक्षिक विकास और प्रैक्टिकल दक्षता बेहतर होगी।
NCTE ने न केवल पुराने कोर्सों को बंद करने की योजना बनाई है बल्कि ITEP (Integrated Teacher Education Programme) जैसे नए कोर्सों को शुरू करने की भी घोषणा की है। इससे छात्रों को एकीकृत और पेशेवर प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा और शिक्षक बनने का सफर और अधिक सुव्यवस्थित हो जाएगा।