दक्षिण-पश्चिम मानसून अब लद्दाख के सभी हिस्सों को पार कर चुका है और अब यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब के कुछ इलाकों तक भी पहुंच चुका है। यह खबर उन लोगों के लिए राहत की सांस जैसी है जो लंबे समय से तपती गर्मी से परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में मानसून राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली सहित शेष पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के बाकी हिस्सों तक भी फैल सकता है।
अगर इस बार मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार तय तारीख पर दिल्ली में मानसून पहुंचता है, तो यह एक ऐतिहासिक पल होगा। सोचिए, अगर 24 जून को मानसून दिल्ली में दस्तक देता है, तो यह 2013 के बाद की सबसे जल्दी मानसूनी आमद होगी। याद कीजिए, साल 2013 में मानसून 16 जून को दिल्ली पहुंचा था और उसके बाद से अब तक इतनी जल्दी मानसून की एंट्री नहीं देखी गई है।
IMD ने दी भारी बारिश की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य प्रदेश, गुजरात, कोंकण और गोवा में 26 जून तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। खास बात यह है कि 23 और 24 जून को मध्य प्रदेश में अति भारी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। वहीं, पूर्वोत्तर भारत में अगले तीन दिनों तक झमाझम बारिश की उम्मीद है, जिसके बाद बारिश की तीव्रता थोड़ी कम हो सकती है।
केरल से शुरू हुई मानसून यात्रा
इस बार मानसून ने 24 मई को केरल में दस्तक दी थी, जो कि 2009 के बाद की सबसे जल्दी शुरुआत मानी जा रही है। उस समय 23 मई को मानसून केरल पहुंचा था। शुरूआत में तेजी से बढ़ते मानसून ने 29 मई तक मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत को ढक लिया था, लेकिन 29 मई से 16 जून के बीच इसकी रफ्तार थम गई थी, जिसने गर्मी का प्रकोप और बढ़ा दिया।
क्या होता है मानसून का तय समय?
मानसून की इस रुकावट के चलते जून की शुरुआत में गर्म हवाएं चलने लगीं और 8-9 जून से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कई हिस्सों में लू ने अपना कहर दिखाया। लेकिन राहत की बात यह रही कि 16 जून के बाद मानसून ने फिर से गति पकड़ी, जब बंगाल और गुजरात के पास दो नए कम दबाव के क्षेत्र बने, जिससे एक बार फिर उम्मीद जगी।
आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल, 11 जून को मुंबई और 30 जून को दिल्ली पहुंचता है। 8 जुलाई तक यह पूरे देश में छा जाता है। वहीं, इसकी वापसी 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक पूरा देश मानसून से विदा ले चुका होता है।
जल्दी मानसून आने का मतलब क्या है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि मानसून के जल्दी या देर से शुरू होने का सीधा संबंध बारिश की कुल मात्रा से नहीं होता। यानी अगर केरल या मुंबई में मानसून जल्दी आता है, तो जरूरी नहीं कि देश के अन्य हिस्सों में भी यही रफ्तार बनी रहे। यह पूरी तरह वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय मौसमीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है और इसमें अक्सर भिन्नताएं देखने को मिलती हैं।
इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद
मौसम विभाग ने मई में ही संकेत दे दिए थे कि इस बार जून से सितंबर के बीच देश में औसत से अधिक यानी 106% तक बारिश हो सकती है। हालांकि लद्दाख, हिमाचल, पूर्वोत्तर, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब, हरियाणा, केरल व तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बारिश सामान्य से थोड़ी कम हो सकती है।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत की कृषि प्रणाली, जो देश की 42% आबादी की आजीविका और जीडीपी का लगभग 18.2% हिस्सा है, वह पूरी तरह मानसून की मेहरबानी पर निर्भर करती है। ऐसे में मानसून की रफ्तार और तीव्रता सिर्फ मौसम ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सीधे प्रभावित करती है।
अब सबकी निगाहें मानसून के अगले कदम पर टिकी हैं—कब, कहां और कितनी बारिश होगी।