अर्थतंत्र की खबरें: ईरान-इजराइल संघर्ष से संकट में चावल निर्यातक और पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से सहमा बाजार
Navjivan Hindi June 24, 2025 02:42 AM

ईरान-इजराइल संघर्ष बढ़ने के साथ ही हरियाणा के चावल निर्यातक जहाज की आवाजाही में बड़ी रुकावट और भुगतान में देरी के संकट से जूझ रहे हैं। ईरान को देश के बासमती चावल निर्यात में हरियाणा के निर्यातकों का हिस्सा 30 प्रतिशत है।

जहां करनाल बासमती निर्यात का मुख्य केंद्र है, वहीं कैथल और सोनीपत भी विदेशी मांग में अपना योगदान करते हैं।

चावल निर्यातक संघ की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा, ‘‘ईरान-इजराइल संघर्ष ने व्यापार को प्रभावित किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश से ईरान को करीब 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया जाता है, जिसमें हरियाणा की हिस्सेदारी करीब 30-35 प्रतिशत है।’’ उन्होंने कहा कि ईरान के लिए करीब एक लाख टन बासमती चावल की खेप बंदरगाहों पर फंसी हुई है।

जैन ने कहा कि इसके अलावा, भारतीय निर्यातकों द्वारा ईरान को निर्यात किए गए लगभग दो लाख टन चावल के लिए 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान भी संघर्ष के कारण अटका हुआ है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष बढ़ने से भारतीय बाजार पर असर पड़ने वाला है, जहां पहले से ही कीमतों में कुछ गिरावट देखी जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्यातकों के सामने एक और समस्या युद्ध के दौरान जहाज के लिए बीमा कवच की कमी है, जो हमारे लिए जोखिम बढ़ाता है।’’

सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ईरान को लगभग 10 लाख टन इस सुगंधित अनाज का निर्यात किया।

भारत ने 2024-25 के दौरान लगभग 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी मांग मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और पश्चिम एशियाई बाजारों से प्रेरित थी। अन्य प्रमुख खरीदारों में इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं।

सोना 160 रुपये गिरकर 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर, चांदी स्थिर

आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की सतत बिकवाली के कारण सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 160 रुपये टूटकर 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है।

99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत शुक्रवार को 99,960 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।

99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 150 रुपये गिरकर 99,100 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया। पिछले बाजार बंद के समय इसका भाव 99,250 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

हालांकि, सोमवार को चांदी 1,05,200 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर स्थिर रही।

वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना मामूली रूप से गिरकर 3,365.40 डॉलर प्रति औंस रह गया।

कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी-जिंस शोध, कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘सोमवार को कुछ समय के लिए सोने की कीमत बढ़कर 3,413.80 डॉलर प्रति औंस हो गई, लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आई, क्योंकि निवेशक तेहरान पर हवाई हमलों में अमेरिका की भागीदारी के बाद ईरान की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।’’

चैनवाला ने कहा कि निवेशक फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की कांग्रेस में टिप्पणी, अमेरिकी जीडीपी आंकड़े और कोर पीसीई मुद्रास्फीति के आंकड़ों सहित प्रमुख आर्थिक घटनाओं का इंतजार करेंगे।

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की शोध विश्लेषक - जिंस और मुद्रा रिया सिंह के अनुसार, जून में अबतक सोने की घरेलू कीमतों में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, कमजोर आभूषण मांग के कारण वैश्विक दरों की तुलना में यह कम कीमत पर कारोबार कर रही है।

पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से सहमा बाजार, सेंसेक्स में 511 अंक की गिरावट

ईरान के तीन प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी बमबारी के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से सोमवार को स्थानीय शेयर बाजार में खासी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 511 अंक फिसल गया जबकि निफ्टी में 140 अंक से अधिक का नुकसान रहा।

विश्लेषकों ने कहा कि ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष में अमेरिकी दखल ने पश्चिम एशिया को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), प्रौद्योगिकी एवं वाहन शेयरों में बिकवाली से भी निवेशक धारणा पर असर पड़ा।

बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स उतार-चढ़ाव से भरे कारोबार में 511.38 अंक यानी 0.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,896.79 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 931.41 अंक यानी 1.13 प्रतिशत गिरकर 81,476.76 अंक पर आ गया था लेकिन बाद में इसने अपने कुछ नुकसान की भरपाई की।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी 140.50 अंक यानी 0.56 प्रतिशत गिरकर 24,971.90 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में एचसीएल टेक, इन्फोसिस, लार्सन एंड टुब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और मारुति में सबसे ज्यादा गिरावट रही।

इसके उलट, ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर बढ़त में रहे।

मेहता इक्विटीज लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘इजराइल-ईरान संघर्ष में अमेरिकी दस्तक ने तनाव बढ़ा दिया है जिससे घबराए निवेशकों ने शुरुआती घंटे में जमकर बिकवाली की। अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो हमारा आयात बिल बढ़ेगा और स्थानीय मुद्रा में तेज गिरावट आएगी। इससे महंगाई बढ़ने का भी जोखिम होगा।’’

हालांकि, तापसे ने कहा कि पिछले चार सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लिवाली करने से अनिश्चितता के दौर में भारत की मजबूत बुनियाद का पता चलता है।

पश्चिम एशिया में संकट गहराने के बीच वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.49 प्रतिशत बढ़कर 77.39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों- फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर बमबारी की है। इससे होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते होने वाले कच्चे तेल कारोबार पर अनिश्चितता का माहौल बन रहा है।

हालांकि, व्यापक बाजार में तेजी का माहौल रहा। छोटी कंपनियों से संबंधित बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 0.57 प्रतिशत और मझोली कंपनियों के मिडकैप में 0.20 प्रतिशत की बढ़त रही।

बीएसई में सूचीबद्ध 2,204 कंपनियों के शेयर गिरावट पर रहे जबकि 1,854 शेयरों में तेजी रही और 182 अन्य के भाव अपरिवर्तित रहे।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘पिछले शुक्रवार को पश्चिम एशिया में तनाव कम होने की उम्मीद में बाजार में तेजी आई थी। लेकिन सप्ताहांत में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अप्रत्याशित अमेरिकी हवाई हमले ने उन उम्मीदों को तोड़ दिया। इससे कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आया और घरेलू शेयर बाजार सीमित दायरे में रहा।’’

नायर ने कहा कि शुरुआती झटके के बावजूद, पूंजीगत वस्तुओं और धातु शेयरों में बढ़त के कारण बाजार ने अपने नुकसान की कुछ भरपाई की, क्योंकि तेल आपूर्ति में तत्काल किसी व्यवधान की आशंका कम रही।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 7,940.70 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी।

एशिया के अन्य बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की नीचे गिरकर बंद हुए, जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग बढ़त में रहे।

यूरोपीय बाजार दोपहर के सत्र में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अधिकांश अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे।

बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को 1,046.30 अंक बढ़कर 82,408.17 अंक पर और निफ्टी 319.15 अंक चढ़कर 25,112.40 अंक पर बंद हुआ था।

रुपया 23 पैसे टूटकर 86.78 प्रति डॉलर पर, पांच माह का निचला स्तर

ईरान के परमाणु संयंत्रों पर अमेरिकी हमले के बाद डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर पांच महीने के निचले स्तर 86.78 (अस्थायी) पर आ गया।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट ने रुपये पर और दबाव डाला।

हालांकि, उन्होंने कहा कि एफआईआई की मजबूत लिवाली और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि ने रुपये का समर्थन किया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 86.75 पर खुला। इसके बाद 87.67-86.85 के दायरे में कारोबार करते हुए अंत में पांच महीने के निचले स्तर 86.78 (अस्थायी) पर बंद हुआ। इस तरह रुपये में शुक्रवार के बंद भाव 86.55 के मुकाबले 23 पैसे की गिरावट हुई। रुपया 13 जनवरी को डॉलर के मुकाबले 86.70 पर बंद हुआ था।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण रुपया 86.85 पर आ गया, हालांकि बाद में तेल कीमतों में गिरावट हुई, जिससे आयातकों को अपने निकट अवधि के आयात के लिए डॉलर खरीदने का मौका मिला।''

उन्होंने कहा, ''रुपया वापस 85.82 पर आ गया, जहां भारतीय रिजर्व बैंक ने विक्रेता की भूमिका निभाई और आज के निचले स्तर से आगे रुपये की चाल को रोके रखा।''

वायदा कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.08 प्रतिशत बढ़कर 77.07 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.60 प्रतिशत बढ़कर 99.29 पर था।

भंसाली ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों के मौजूदा रुख के आधार पर रुपये की कीमत 86.50-86.90 के बीच रहने की उम्मीद है।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को शुद्ध आधार पर 7,940.70 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

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