क्रेडिट कार्ड रखने वाले की मौत हो जाए तो बकाया कौन चुकाएगा? ये है नियम
TV9 Bharatvarsh June 24, 2025 04:42 PM

आजकल क्रेडिट कार्ड का चलन इतना बढ़ गया है कि हर जेब में एक-दो कार्ड तो मिल ही जाएंगे. खासकर बड़े शहरों में नौजवानों के बीच क्रेडिट कार्ड की डिमांड आसमान छू रही है. ये कार्ड जरूरत के वक्त काम तो आता है लेकिन इसके साथ कर्ज का बोझ भी आ जाता है. एक बार क्रेडिट कार्ड की आदत पड़ जाए तो छुड़ाना मुश्किल हो जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अगर क्रेडिट कार्ड यूजर की अचानक मौत हो जाए तो उसका बकाया कर्ज कौन चुकाएगा? आइए, हम आपको बताते हैं कि इस स्थिति में कानून क्या कहता है और बैंकों के नियम कैसे काम करते हैं.

क्रेडिट कार्ड: जरूरत या आदत?

क्रेडिट कार्ड एक ऐसा प्लास्टिक कार्ड है, जो दिखने में डेबिट कार्ड जैसा ही होता है. डेबिट कार्ड से आप अपने बैंक खाते का पैसा निकालते हैं लेकिन क्रेडिट कार्ड से आप बैंक का उधार लिया पैसा खर्च करते हैं. ये उधार आपको बाद में चुकाना पड़ता है. आज के दौर में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग, बिल पेमेंट, और ट्रैवलिंग तक सबकुछ आसान हो गया है लेकिन अगर इसका इस्तेमाल सावधानी से न किया जाए तो ये कर्ज के जाल में फंसा सकता है.

हालांकि मुश्किल वक्त में क्रेडिट कार्ड किसी संजीवनी से कम भी नहीं है. बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपको ग्रेस पीरियड देती हैं, यानी बिल भरने की आखिरी तारीख तक अगर आप पूरा बकाया चुका देते हैं तो कोई ब्याज नहीं लगता लेकिन अगर आपने ग्रेस पीरियड मिस कर दिया तो छोटे-से कर्ज पर भारी-भरकम ब्याज चुकाना पड़ सकता है. यही वजह है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल समझदारी से करना बेहद जरूरी है.

मौत के बाद कर्ज का क्या होता?

ज्यादातर क्रेडिट कार्ड अनसिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आते हैं. इसका मतलब है कि बैंक आपको ये कार्ड आपकी आय, क्रेडिट स्कोर और पिछले लोन चुकाने के रिकॉर्ड के आधार पर देता है. इसके लिए आपको कोई गारंटी या कोलैटरल (जैसे प्रॉपर्टी या गहने) नहीं रखना पड़ता. लेकिन सवाल ये है कि अगर अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड होल्डर की मौत हो जाए तो कर्ज का क्या होगा?

कानून के मुताबिक, अगर क्रेडिट कार्ड यूजर की मृत्यु हो जाती है तो उसका कर्ज आमतौर पर खत्म हो जाता है. यानी परिवार वालों पर ये बोझ नहीं डाला जाता. क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाने की जिम्मेदारी सिर्फ कार्डहोल्डर की होती है. हालांकि, बैंक पहले मृतक की संपत्ति से बकाया वसूलने की कोशिश करता है. अगर मृतक के नाम पर कोई प्रॉपर्टी, बैंक बैलेंस, या निवेश है तो बैंक कानूनी तरीके से उससे अपना पैसा निकाल सकता है.

लेकिन अगर मृतक के नाम पर कोई संपत्ति या पैसा नहीं है तो बैंक के पास आखिरी रास्ता होता है कर्ज को बट्टे खाते में डालना. यानी बैंक उस नुकसान को खुद सहन करता है. ऐसे में परिवार वालों को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का कर्ज उनके सिर पर नहीं आता.

सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड के लिए नियम हैं अलग

ऐसे केस में सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का मामला थोड़ा अलग है. ये कार्ड उन लोगों को दिया जाता है जिनका क्रेडिट स्कोर कम होता है या जिनकी आय स्थिर नहीं होती. ऐसे में बैंक सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड देने से पहले कुछ गारंटी मांगता है, जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD). अगर कार्डहोल्डर की मौत हो जाए तो बैंक पहले उसकी FD से बकाया कर्ज वसूल लेता है. अगर FD में बकाया से ज्यादा पैसा है तो बची हुई रकम मृतक के वारिस को लौटा दी जाती है.

सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड में कर्ज माफ नहीं होता, क्योंकि बैंक पहले ही अपने पैसे की गारंटी ले चुका होता है. इसलिए अगर आप सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं तो ये बात जरूर ध्यान में रखें कि आपकी FD ही बैंक के लिए सिक्योरिटी है.

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते वक्त बरतें ये सावधानियां

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जितना आसान है, उतना ही जोखिम भरा भी हो सकता है. अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो कर्ज के जाल से बच सकते हैं.

1. बिल टाइम पर चुकाएं

क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर चुकाना सबसे जरूरी है. देरी होने पर न सिर्फ ब्याज बढ़ता है, बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो सकता है. इससे आपको जरूरत के समय बैंक से लोन मिलने में समस्या हो सकती है.

2. सिर्फ मिनिमम अमाउंट न भरें

कई लोग सिर्फ मिनिमम ड्यू अमाउंट भरकर सोचते हैं कि काम चल जाएगा. लेकिन ऐसा करने से कर्ज लंबा खिंचता है और ब्याज का बोझ बढ़ता जाता है. कोशिश करें कि पूरा बकाया एक बार में चुकाएं.

3. क्रेडिट लिमिट का ध्यान रखें

क्रेडिट कार्ड की लिमिट के करीब या उससे ज्यादा खर्च करने से बचें. इससे आपका CIBIL स्कोर खराब हो सकता है, जिसका असर भविष्य में लोन लेने पर पड़ता है.

4. कैश निकालने से बचें

क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना महंगा पड़ सकता है. इस पर तुरंत ब्याज लगना शुरू हो जाता है और अतिरिक्त चार्ज भी वसूला जाता है.

5. हर खरीदारी को EMI में न बदलें

बार-बार EMI चुनने से कर्ज का बोझ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. सिर्फ जरूरी और बड़ी खरीदारी के लिए ही EMI का ऑप्शन चुनें.

6. रिवॉर्ड पॉइंट्स के चक्कर में न पड़ें

रिवॉर्ड पॉइंट्स और ऑफर्स के लालच में जरूरत से ज्यादा खर्च करने से बजट बिगड़ सकता है. सिर्फ वही खरीदें, जिसकी आपको जरूरत हो.

7. ज्यादा कार्ड्स न रखें

बिना जरूरत के कई क्रेडिट कार्ड रखने से पेमेंट और ड्यू डेट भूलने का खतरा रहता है. साथ ही हर कार्ड का सालाना चार्ज भी देना पड़ता है.

8. स्टेटमेंट जरूर चेक करें

बिना स्टेटमेंट पढ़े पेमेंट न करें. इससे आप गलत चार्ज या फ्रॉड से बच सकते हैं. हर महीने अपने क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट को ध्यान से देखें.

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