बकरी की खेती: बिहार के अररिया जिले के कई ग्रामीण किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ अब पशुपालन की ओर रुख कर रहे हैं. खासकर बकरी पालन ने लोगों के जीवन में नई आर्थिक उम्मीदें पैदा की हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला यह व्यवसाय आज गरीबों के लिए “ATM” जैसा बन चुका है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि बकरी का हाट हर क्षेत्र में आसान होता है और इसका दूध व मांस दोनों की बाजार में जबरदस्त मांग रहती है.
छोटे स्तर से शुरू किया, बड़ी कमाई कर रहे किसान
अररिया जिले के बरबन्ना गांव के किसान नविंदर यादव की कहानी इस बात का उदाहरण है कि यदि सही दिशा और मेहनत हो, तो कम संसाधन में भी बड़ा लाभ कमाया जा सकता है.
करीब 5 साल पहले नविंदर ने 5 बकरियों से बकरी पालन की शुरुआत की थी. शुरू में परिवार और गांववालों ने संदेह जताया, लेकिन उन्होंने धैर्य और समर्पण के साथ काम जारी रखा.
आज उनकी कमाई एक सीजन में 1 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है.
बकरी पालन में लागत कम, लाभ ज्यादा
- नविंदर यादव का कहना है कि बकरी पालन की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें भारी पूंजी की जरूरत नहीं होती.
- उनके अनुसार:
- एक बकरी साल में दो बार बच्चे देती है.
- बकरा (खस्सी) बनने के बाद उसकी कीमत 8-10 हजार रुपये तक होती है.
- सही देखरेख और नियमित टीकाकरण से बकरियों की सेहत बनी रहती है, जिससे उत्पादन भी बेहतर होता है.
- इससे कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, और इसके लिए किसी बड़ी जगह या महंगे इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होती.
बकरी को क्यों कहा जाता है ‘गरीबों का ATM’?
- गांवों में बकरी को “गरीबों का ATM” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि
- जब भी जरूरत होती है, किसान बकरी या उसका बच्चा बेचकर तत्काल पैसे जुटा सकते हैं.
- बाजार में इसकी मांग बनी रहती है, खासकर त्योहारों, शादी-ब्याह या किसी धार्मिक अवसर पर.
- यह हर मौसम में पालन योग्य है और छोटी जगह में आसानी से रखी जा सकती है.
बकरी का दूध भी बन रहा कमाई का जरिया
- नविंदर यादव बताते हैं कि बकरी का दूध बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद फायदेमंद होता है.
- उनके अनुसार:
- बकरी का दूध पचाने में आसान होता है.
- यह एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी होता है.
- ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी का दूध बाजार में 60 से 80 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है.
- इससे किसानों को मांस के साथ-साथ दूध से भी अतिरिक्त आय होती है.
बाजार में बकरों की डिमांड है जबरदस्त
- बकरी पालन करने वाले पशुपालकों को बकरों के लिए बाजार की चिंता करने की जरूरत नहीं होती.
- त्योहारों के मौसम में बकरों की मांग तेजी से बढ़ती है.
- स्थानीय हाट, कस्बा बाजार, और शहरों में बकरों की कीमत अधिक मिलती है.
- खास नस्लों के बकरों की कीमत 15 से 20 हजार रुपये तक पहुंच जाती है.
- यह व्यवसाय मौसमी होने के बावजूद सालभर आय का जरिया बन सकता है.
सरकार भी दे रही सहयोग
- बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई योजनाएं चला रही है.
- पशुपालन विभाग की सब्सिडी स्कीम के तहत बकरी पालन के लिए ऋण और अनुदान की सुविधा दी जा रही है.
- ट्रेनिंग कैंप और पशु चिकित्सा शिविर समय-समय पर आयोजित होते हैं.
- ग्रामीण युवा और महिलाएं भी इस व्यवसाय को अपना रही हैं, जिससे स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं.
शुरू करने के लिए क्या जरूरी है?
अगर आप भी बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो ध्यान रखें:
- थोड़ी जगह हो लेकिन सूखा और हवादार होना चाहिए.
- पशुओं का टीकाकरण समय पर हो.
- स्वस्थ नस्ल का चुनाव करें, जैसे – जमुनापारी, बरबरी, बीटल इत्यादि.
- भोजन और पानी की नियमित व्यवस्था करें.
- स्थानीय बाजार का मूल्यांकन करें, ताकि बिक्री में आसानी हो.