प्रेमानंद महाराज के अद्भुत उपाय: नकारात्मकता से बचने के लिए जानें सरल मंत्र और विधियाँ
Stressbuster Hindi June 25, 2025 03:42 AM
प्रेमानंद महाराज की प्रेरणा

Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

प्रेमानंद महाराज की प्रेरणा: आज के समय में जब तनाव, चिंता और मानसिक दबाव बढ़ते जा रहे हैं, आध्यात्मिक साधना और संतों की शिक्षाएँ एक प्रकार से जीवनदायिनी साबित हो रही हैं। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने जीवन को विपत्तियों से सुरक्षित रखने के लिए कुछ नियम बताए हैं, जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक हैं, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने में भी प्रभावी हैं। उनका मानना है कि यदि इन नियमों को श्रद्धा से अपनाया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकता है। उन्होंने इन नियमों को सरल भाषा में समझाया है और प्रोत्साहित किया है कि लोग इन्हें अपनाकर अपने जीवन की दिशा बदल सकते हैं।


प्रेमानंद महाराज के नकारात्मकता से सुरक्षा के उपाय ठाकुर जी का चरणामृत पिएं

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सबसे पहला और सरल उपाय है ठाकुर जी का चरणामृत प्रतिदिन पीना। यह चरणामृत श्रीकृष्ण के चरणों से जुड़ी दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। इसका नियमित सेवन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है।

विधि:

किसी वैष्णव मंदिर से चरणामृत की एक छोटी शीशी प्राप्त करें और इसे पांच लीटर पानी में मिलाकर एक स्वच्छ बर्तन में रख लें। प्रतिदिन सुबह एक ढक्कन चरणामृत का सेवन करें।

"श्रीकृष्ण पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म विद्यते।"

मान्यता:

इससे अकाल मृत्यु, रोगों से मुक्ति और पुनर्जन्म से मुक्ति का लाभ मिलता है।


दिव्य मंत्र का जाप घर से निकलने से पहले 11 बार इस मंत्र का जाप करें

यह मंत्र केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक सुरक्षा कवच है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, दिन की शुरुआत इस मंत्र से करने पर व्यक्ति किसी भी अनिष्ट या संकट में नहीं फंसता।

लाभ:

यह मंत्र मानसिक संतुलन और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। केवल पांच मिनट का यह जाप आपके पूरे दिन को मंगलमय बना सकता है।


साधना के अन्य उपाय

प्रतिदिन 20-30 मिनट नाम संकीर्तन करें। महाराज के अनुसार, संकीर्तन वह सरल मार्ग है जिससे व्यक्ति परम आनंद का अनुभव कर सकता है। अपने घर में ठाकुर जी के समक्ष बैठकर प्रेमपूर्वक 'राधा-राधा' या 'हरे कृष्ण' का संकीर्तन करें।

लाभ:

पापों का नाश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परिवारिक तनाव और मानसिक विषाद स्वतः समाप्त होने लगते हैं।


प्रणाम और तिलक के महत्व

प्रतिदिन ठाकुर जी को 11 साष्टांग दंडवत प्रणाम करें। प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि भगवान को दंडवत प्रणाम करने का महत्व अनंत है। एक बार सच्चे मन से किया गया प्रणाम दस अश्वमेध यज्ञों के फल के बराबर होता है।

विधि:

घर में ठाकुर जी के चित्र या मूर्ति के समक्ष 11 बार साष्टांग दंडवत करें। हर बार 'राधा वल्लभ लाल की जय' बोलें।

लाभ:

दुख और संकटों का नाश होता है।


वृंदावन की रज का तिलक

वृंदावन की रज से तिलक करें। महाराज के अनुसार, यह रज स्वयं ब्रह्म के समान दिव्य है।

विधि:

वृंदावन यात्रा से लाकर थोड़ा रज संग्रह करें और प्रतिदिन अपने ललाट पर इसका तिलक करें।

लाभ:

मन की चंचलता समाप्त होती है और सिर पर दिव्यता का प्रभाव बना रहता है।


उपायों का महत्व

इन उपायों को केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखना सीमित होगा। यदि इन्हें मानसिक स्वास्थ्य और आत्मिक अनुशासन के आधार पर देखा जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि ये उपाय जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ये नियम किसी धर्म या पंथ के लिए सीमित नहीं हैं।


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