35 के बाद सेक्शुअल लाइफ कौन सी चीजों से खराब हो सकती है? डॉक्टर से जानें
Newshimachali Hindi June 25, 2025 10:42 AM

आप जानती हैं कि बहुत ज्यादा अल्कोहल लेने और लगातार स्मोकिंग करने से सिर्फ आपके दिल और फेफड़ों को ही नुकसान नहीं होता है, बल्कि ये आदतें चुपचाप आपकी सेक्शुअल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

जी हां, अक्सर लोग सोचते हैं कि इन बुरी आदतों का असर सिर्फ शरीर के बड़े अंगों पर होता है, लेकिन वे इसके सेक्शुअल हेल्थ पर पड़ने वाले असर से अनजान होते हैं। ये चीजें 35 की उम्र के बाद खासकर और भी बुरा असर डालती हैं, जब शरीर नेचुरली कुछ बदलावों से गुजर रहा होता है। सेक्शुअल हेल्थ पर अल्कोहल और स्मोकिंग का क्या असर होता है? इसके बारे में हमें मेडिकवर हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई की सीनियर गायनेकोलॉजिस्टऔर आईवीएफ कंसल्टेंट डॉक्टर अनुरंजिता पल्लवी बता रही हैं।

एक्सपर्ट का कहना है, "सेक्शुअल रिलेशन सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह आपके रिश्ते को मजबूती देती है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है। लेकिन, स्मोकिंग और अल्कोहल लेने जैसी बुरी आदतें पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्सुअल हेल्थ, फर्टिलिटी और हार्मोन संतुलन को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इनके कारण होने वाले नुकसान अक्सर धीरे-धीरे होते हैं, जिससे लोग शुरुआत में इनकी गंभीरता को समझ नहीं पाते हैं। लेकिन, एक बार जब नुकसान दिखने लगता है, तब उसे ठीक करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, इन आदतों के सेक्शुअल हेल्थ पर पड़ने वाले असर को समझना और उनसे बचना बेहद जरूरी है।''

अल्कोहल और स्मोकिंग का सेक्शुअल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है?

सेक्शुअल डिजायर को करता है कम

क्या आप जानती हैं कि अल्कोहल ऐसा नशीले पदार्थ है, जो दिमाग और शरीर के बीच बातचीत को धीमा कर देता है। इसका सीधा असर सेक्शुअल स्वास्थ्य पर पड़ता है।

ज्यादा अल्कोहल लेने से महिलाओं की सेक्शुअल डिजायर कम हो सकती है, वजाइना में ड्राईनेस आती है और ऑर्गेज्म में मुश्किलें आ सकती हैं। सिगरेट पीने से ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे शरीर में ब्लड के फ्लो में बाधा आती है, खासकर जेनिटल एरिया में ब्लड पहुंचने में मुश्किल होती है। इससे महिलाओं में सेक्शुअल रिलेशन के प्रति रूचि कम हो जाती है।

एनर्जी लेवल होता है कम

ज्यादा अल्कोहल लेने से शरीर में थकान और सुस्ती आती है, जिससे एनर्जी लेवल कम हो जाता है। स्मोकिंग और अल्कोहल दोनों से ही सेक्शुअल हेल्थ पर बुरा असर होता है। इससे व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी निराश महसूस करता है।

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फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं

इन आदतों का ओव्यूलेशन पर बुरा असर होता है। ये एग्स की क्वालिटी को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में कपल्स को गर्भधारण और पेरेंट्स बनने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की जरूरत पड़ सकती है।

सिगरेट में मौजूद हानिकारक केमिकल्स रिप्रोडक्टिव अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इससे इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ सकता है।

रिश्ते पर बुरा असर

सेक्शुअल हेल्थ का सीधा असर आपका पार्टनर के साथ रिलेशन पर पड़ता है। जब सेक्शुअल रिलेशन अच्छा नहीं होता है, तब यह तनाव, निराशा और गलतफहमी का कारण बन सकती है। अल्कोहल और स्मोकिंग से होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स जीवन को नीरस बना सकती हैं, जिससे कपल के बीच इमोशनल दूरी बढ़ सकती है।

हार्मोन संतुलन पर बुरा असर

अल्कोहल और स्मोकिंग दोनों ही शरीर के नाजुक हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं। अल्कोहल का महिलाओं के एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स पर बुरा असर होता हैं, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और सेक्शुअल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

एसटीडी का बढ़ता है खतरा

अल्कोहल पीने से सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है और वह अपनी आदतों पर नियंत्रण खो देता है। इससे असुरक्षित सेक्शुअल रिलेशन से और सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है। रिप्रोक्टिव हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए इस तरह के इंफेक्शन का समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है।

अपनी सेक्शुअल हेल्थ के लिए इन आदतों को छोड़ना बेहद जरूरी है। इससे आपके रिलेशनशीप के साथ सेहत भी अच्छी होती है ।

क्यों होता है क्रोनिक फटीग सिंड्रोम

एक्सपर्ट बताते हैं कि इसका अब तक सही कारण नहीं पता चल पाया है। कई बार यह किसी वायरल संक्रमण या फिर बहुत ज्यादा मानसिक या शारीरिक तनाव या किसी बीमारी के बाद शुरू हो सकती है। इसका कोई खास टेस्ट भी नहीं होता है। इसलिए डॉक्टर देखकर ही इसे पहचानते हैं। वहीं हाल ही के कुछ शोध में सामने आया है, कि क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के पीछे अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं। मतलब यह की बीमारी कुछ लोगों को उनके जीन या परिवार में पहले से होने की वजह से हो सकती है। वहीं कोविड के बाद भी लोगों में क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम देखा जा रहा है।

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लक्षण?

  • व्यक्ति को लगातार 6 महीने से अधिक थकान बनी रहती है। इसकी वजह से काम करना, ऑफिस जाना या दोस्तों से मिलने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  • जो काम पहले आराम से कर लेती थीं, अब वही काम करने के बाद तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है और इससे उबरने में कई दिन भी लगा सकते हैं।
  • रात भर सोने के बाद भी फ्रेशनेस महसूस नहीं होता है और उल्टा थकान और बार-बार नींद आती है।
  • दिमाग धीमा सा लगता है। बातें भूलने लगते हैं या साफ-साफ सोच नहीं पाते हैं। मतलब की आपको ध्यान लगाने और सोने में परेशानी होती है।
  • इस बीमारी का असर हर व्यक्ति पर अलग तरह से होता है। कुछ लोग ज्यादा बीमार हो जाते हैं, तो कुछ लोग चलने फिरने के काबिल रहते हैं।

अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।


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