बिहार सरकार ने राजधानी पटना से जुड़े एक बड़े बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जेपी गंगा पथ परियोजना के तहत दीघा से शेरपुर होते हुए बिहटा के कोईलवर पुल तक फोरलेन सड़क निर्माण की योजना को मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिल गई है। इस मार्ग पर टोल टैक्स की वसूली की भी अनुमति दी गई है, जो सड़क के संचालन और रखरखाव के लिए राजस्व का स्रोत बनेगा।
इस परियोजना को हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HAM मॉडल) पर विकसित किया जाएगा, जो राज्य सरकार के लिए एक नया प्रयोग होगा। यह बिहार की पहली ऐसी परियोजना होगी जिसे इस मॉडल के तहत लागू किया जा रहा है। इससे सरकार को प्रारंभिक निवेश के बोझ से राहत मिलेगी, वहीं निजी क्षेत्र की भागीदारी से निर्माण की गति भी बढ़ेगी।
क्या है हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HAM)?
हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत सरकार और निजी क्षेत्र दोनों मिलकर परियोजना में निवेश करते हैं। इसमें निर्माण की लागत का एक हिस्सा सरकार देती है, जबकि शेष राशि निजी निवेशक वहन करता है। निर्माण पूरा होने के बाद सरकार निर्धारित समयावधि में किस्तों के रूप में भुगतान करती है, और टोल वसूली निजी कंपनियों को दी जाती है। यह मॉडल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में सफलतापूर्वक अपनाया जा चुका है।
परियोजना का महत्व:
दीघा से बिहटा तक बनने वाली यह फोरलेन सड़क पटना शहर को पश्चिमी जिलों से जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। बिहटा क्षेत्र में लगातार हो रहे औद्योगिक और शैक्षणिक विकास को देखते हुए यह सड़क भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। यह मार्ग जेपी गंगा पथ (पटना रिवर फ्रंट रोड) से जुड़कर राजधानी के यातायात दबाव को भी कम करेगा।
टोल टैक्स पर निर्णय:
सड़क के उपयोग के लिए अब टोल टैक्स वसूला जाएगा। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि किस श्रेणी के वाहनों से कितना टोल लिया जाएगा। परिवहन विभाग और संबंधित एजेंसियां टोल दरों को निर्धारित करने की प्रक्रिया में हैं। उम्मीद है कि यह दरें सार्वजनिक सुविधा और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए तय की जाएंगी।
आगे की तैयारी:
परियोजना को जल्द शुरू करने की दिशा में भूमि अधिग्रहण और निविदा प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ाई जा रही है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले दो वर्षों में सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाए।