पारंपरिक रूप से, पैरासिटामोल का निर्माण जीवाश्म ईंधन से प्राप्त रसायनों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन यदि प्लास्टिक कचरे को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाए, तो यह पर्यावरण के लिए एक बड़ा लाभ साबित हो सकता है। यह पहल न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी, बल्कि औषधि निर्माण की पारंपरिक विधियों से जुड़ी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भी कर सकती है।
हालांकि, इस तकनीक को औद्योगिक स्तर पर लागू करने और व्यावसायिक रूप से सफल बनाने में कुछ समय लगेगा, लेकिन इसके संभावित लाभ अत्यधिक हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से 24 घंटे के भीतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह एक छोटी प्रयोगशाला में भी बिना अधिक संसाधनों के किया जा सकता है। विशेष बात यह है कि यह प्रक्रिया कमरे के तापमान पर संचालित की जा सकती है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है और महंगे तापमान नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती।