मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच विवाद नहीं है, बल्कि यह मामला न्यायालय तक पहुंच चुका था। हाल ही में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस याचिका की सुनवाई में समय बर्बाद हुआ है, लेकिन याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया।
जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने स्पष्ट किया कि ‘इस याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है। इसलिए, हम इसे खारिज करते हैं’। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चुनाव में शाम छह बजे के बाद 75 लाख से अधिक वोट डाले गए थे, जिसके आधार पर उन्होंने चुनाव को अवैध घोषित करने की मांग की थी। वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने इस संबंध में याचिका दायर की थी, जबकि मुंबई के चेतन चंद्रकांत अहिरे ने शाम छह बजे के बाद असामान्य रूप से अधिक वोट डालने की शिकायत की थी।
अहिरे ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर घोषित चुनाव परिणामों को रद्द किया जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 90 से अधिक विधानसभा सीटों पर डाले गए और गिने गए वोटों में अंतर है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील आशुतोष कुंभकोनी ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास राज्यभर के परिणामों को चुनौती देने का अधिकार नहीं है और यह भी बताया कि याचिकाकर्ता ने किसी विजयी उम्मीदवार को पार्टी नहीं बनाया। इस याचिका को खारिज करने का एक और कारण यह था कि इसे रिट याचिका के रूप में दाखिल किया गया था और वह भी निर्धारित समय सीमा के बाद।
खड़गे ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अंबेडकर, नेहरू और संविधान सभा द्वारा तैयार किए गए संविधान को उन्होंने रामलीला मैदान में जलाया। उन्होंने अंबेडकर, नेहरू और गांधी की तस्वीरें भी जलाईं। उनका कहना था कि जो संविधान बना है, उसमें हमारी पारंपरिक संस्कृति का कोई अंश नहीं है। चाहे वह मनुस्मृति के तत्व हों, वे इसमें नहीं थे, इसलिए वे संविधान को नहीं मानते।’