दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में अब पाकिस्तान के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा. मसलन, डीयू पोस्ट ग्रेजुएशन राजनीतिक विज्ञान के सेलेब्स से पाकिस्तान और विश्व, समकालीन विश्व में चीन की भूमिका, इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध, पाकिस्तान: राज्य और समाज, धार्मिक राष्ट्रवाद और राजनीतिक हिंसा जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं. डीयू स्थाई समिति की बैठक में सेलेब्स से इन चैप्टरों को हटाने का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही पीजी समाजशास्त्र और भूगोल के सेलेब्स से भी कुछ चैप्टर हटाए गए हैं. इसकी जानकारी डीयू स्थाई समिति की सदस्य डॉ. मोनामी सिन्हा ने दी है.
अब एक जुलाई को नए पाठ्यक्रम पर होगी चर्चाडीयू स्थाई समिति की सदस्य डॉ. मोनामी सिन्हा ने बताया कि संघ से जुड़े हुए शिक्षक संगठन एनडीटीएफ के सदस्यों की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बाद पाकिस्तान, चीन समेत कुछ चैप्टर पीजी राजनीतिक विज्ञान के सेलेब्स से हटा दिए गए हैं. डॉ सिन्हा ने कहा कि समिति की बैठक में उन्होंने समेत अन्य कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि अब नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा, जिसकी चर्चा एक जुलाई को अगली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में होगी।
पाकिस्तान का अध्ययन जरूरीडीयू स्थाई समिति की सदस्य डॉ. मोनामी सिन्हा ने कहा कि पीजी राजनीति विज्ञान के सेलेब्स से पाकिस्तान को हटाना गलत है, जिसका बैठक में विरोध भी हुआ. उन्होंने कहा कि बैठक में हमने तर्क दिया था कि पाकिस्तान का विस्तार से अध्ययन करना अनिवार्य है, क्योंकि यह भारत की निरंतर विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों में से एक है.
उन्होंने कहा कि हमारे भू-राजनीतिक विरोधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने से हम रणनीतिक रूप से नुकसान में रह सकते हैं. इसी तरह, तेजी से बदलते, बहुध्रुवीय विश्व में चीन का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है, जहां चीन कई वैश्विक दक्षिण देशों का नेतृत्व करने की संभावना रखता है. इस वास्तविकता को अनदेखा करना अकादमिक रूप से अदूरदर्शी होगा.
सिर्फमार्क्स, बेबर के जिक्र पर आपत्तिडीयू स्थाई समिति की बैठक में पीजी भूगोल और सामजशास्त्र के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया है, जिसके तहत भूगोल सेएससी जनसंख्या का वितरण विषय पर आपत्ति जताई गई, जिसमें जाति से संबंधित विषय को विवादास्पद माना है. इसी तरह समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में केवल मार्क्स, वेबर और दुर्खीम के हाेने पर आपत्ति जताते हुए भारतीय सिद्धांतकारों को शामिल करने को कहा गया है.
इसके साथ ही समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में केवल चर्च के जिक्र पर आपत्ति जताते हुए अन्य पूजा स्थलों और ऋषि-मुनि को शामिल करने को कहा गया है. वहीं समाजशास्त्र से दलित, हिंदू धर्म और भूमिगत धर्म पर चैप्टर को भी हटाने के लिए कहा गया.
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