Vinayak Chaturthi 2025: इस कथा के बिना अधूरा ही रह जाता है विनायक चतुर्थी का व्रत…जरूर करें इसका पाठ और दूर करें क्लेश!
TV9 Bharatvarsh June 28, 2025 02:42 PM

Vinayak Chaturthi 2025: भगवान गणेश को प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता, सारे संकटों को काट देने वाले कहा जाता है. गणेश जी अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें सभी बाधा विघ्नों से निकाल लेते हैं. ऐसे में हर माह आने वाली विनायक चतुर्थी पर आप भक्ति भावना से उनकी आराधना करके अपने विघ्नों को भी दूर कर सकते हैं.

हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में श्री गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना गया है. इन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश चतुर्थी की यह कथा पढ़ने का विधान है. कहा जाता है जो इस कथा को पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ पढ़ता है उसका व्रत सफल होता है.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे थे और चौपड़ खेल रहे थे. शिव जी ने खेल में हार-जीत का फैसला लेने के लिए एक पुतले बनाया और उसकी प्रतिष्ठा कर दी. भोलोनाथ ने उस पुतले से कहा कि वह खेल जीतने के बाद विजेता का फैसला करेगा. महादेव और देवी पार्वती चौपड़ खेलने लगे और माता पार्वती जीत गईं. आखिर में उस पुतले ने महादेव को विजेता घोषित कर दिया. यह फैसला सुन देवी पार्वती बहुत क्रोधित हो गईं और उन्होंने उस पुतले बालक को विकलांग होने का श्राप दे दिया.

इसके बाद उस बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि ये निर्णय गलती से हो गया. लेकिन देवी पार्वती ने कहा कि श्राप को वापस नहीं किया जा सकता है. इसके बाद देवी पार्वती ने उसे एक समाधान बताया और कहा कि नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने के लिए आएंगी और तुम्हें उनके बताए अनुसार एक व्रत करना होगा. इस व्रत से तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे. वह बालक कई सालों तक उस श्राप से पीड़ित रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने आईं. देवी पार्वती के कहे अनुसार, उस बालक ने नाग कन्याओं से गणेश जी की व्रत की विधि पूछी. फिर उस बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश के निमित्त व्रत किया, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा.

बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना करने हुए कैलाश पर्वत तक पैदल चलने की शक्ति मांगी. भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया. गणपति के आशीर्वाद से वह बालक श्राप मुक्त हो गया और बाद में बालक ने श्राप से मुक्त होने की कथा कैलाश पर्वत पर महादेव को सुनाई. चौपड़ के दिन से ही माता पार्वती भगवान शिव से नाराज हो गई थीं. बालक के कहे अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक भगवान गणेश के निमित्त व्रत रखा और इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती का महादेव के प्रति क्रोध समाप्त हो गया.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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