वैष्णो देवी मंदिर: श्रद्धालुओं का प्रमुख स्थल और दान की महिमा
newzfatafat June 29, 2025 03:42 AM
वैष्णो देवी मंदिर की महिमा

हर साल नवरात्रि का पर्व दो बार मनाया जाता है, और इस दौरान देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। छोटे से लेकर बड़े मंदिरों तक, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्तों की आमद किसी विशेष अवसर की मोहताज नहीं है। यहां साल भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।


हम बात कर रहे हैं जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर की। चाहे सर्दी हो या गर्मी, बारिश हो या धूप, इस मंदिर में भक्तों की भीड़ हमेशा बनी रहती है। त्योहारों के समय तो यह भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि मंदिर में चलने की जगह भी नहीं मिलती।


500 करोड़ का चढ़ावा 500 करोड़ का दान

एक रिपोर्ट के अनुसार, वैष्णो देवी मंदिर देश का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है, जहां हर साल लगभग 500 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ता है। इस मामले में पहले स्थान पर दक्षिण भारत का पद्मनाभ स्वामी मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।


श्रद्धालुओं की संख्या लाखों की संख्या में श्रद्धालु

इस मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। गर्मियों की छुट्टियों में यहां सबसे अधिक भीड़ होती है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 80 लाख से लेकर 1 करोड़ तक श्रद्धालु वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आते हैं। दान के रूप में मंदिर में सोने-चांदी की वस्तुएं भी चढ़ाई जाती हैं।


दान का उपयोग कहां जाता है दान?

वैष्णो देवी मंदिर की सभी गतिविधियों पर एक ट्रस्ट का नियंत्रण है। चढ़ावे में आया धन और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की देखरेख इसी ट्रस्ट द्वारा की जाती है। दान की गई राशि का उपयोग पुजारियों की तनख्वाह से लेकर श्रद्धालुओं को मिलने वाले प्रसाद तक सभी ट्रस्ट की निगरानी में होता है।


वैष्णो देवी मंदिर की प्रसिद्धि क्यों प्रसिद्ध है वैष्णो देवी मंदिर?

– यह मंदिर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। भक्तों का मानना है कि यहां आने वाले की पुकार देवी सुनती हैं और उनके दुख दूर करती हैं।
– इस मंदिर से जुड़ी एक कथा पंडित श्रीधर से संबंधित है, जो बहुत गरीब थे। देवी ने कन्या रूप में उनके घर दर्शन दिए।
– भैरों नाथ ने कन्या को पहचान लिया और उसे पकड़ने के लिए दौड़ा। कन्या एक गुफा में छिप गई, जो आज भी मंदिर में मौजूद है।
– महाभारत काल में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है, जहां अर्जुन ने माता वैष्णो देवी का आशीर्वाद लिया था।
– सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह भी यहां आए थे, और हर साल बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु यहां आते हैं।
– नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में दर्शन का महत्व और भी बढ़ जाता है।


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