भूमि दर वृद्धि: हरियाणा सरकार ने किसानों और जमीन मालिकों के हित में भूमि अधिग्रहण नीति में बड़ा बदलाव किया है. अब भूमि अधिग्रहण पर कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा मिलेगा. पहले तक यह मुआवजा सिर्फ दोगुना होता था, जिससे विवाद और कानूनी अड़चनें खड़ी हो रही थीं. लेकिन अब इस नई नीति के लागू होने से जमीन मालिकों को अधिक कीमत मिलेगी और सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण आसान और विवाद रहित होगा.
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने 25 नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर नई नीति को मंजूरी दे दी है.
इससे पहले 18 अक्टूबर 2013 में भी सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के लिए भूमि की बाजार दर तय करने की नीति में संशोधन हुआ था. लेकिन वर्तमान नीति परिवर्तन अधिक व्यापक और व्यावहारिक माना जा रहा है.
इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह है कि विभिन्न विभाग और संस्थाएं भूमि अधिग्रहण में अलग-अलग मापदंड अपनाकर कानूनी उलझनों में न फंसे. अब सभी विभागों और सरकारी एजेंसियों को कलेक्टर रेट की चार गुनी राशि पर मुआवजा देना होगा.
इससे भूमि मालिकों को बेहतर भुगतान मिलेगा और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद कम होंगे.
नई नीति के अनुसार, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन से जुड़े मामलों में मुआवजा केंद्र सरकार के अधिनियम के तहत तय मानकों के अनुसार मिलेगा.
बिल्डर और निजी संस्थाओं द्वारा खरीदी गई भूमि को इच्छित उपयोग में लाने से पहले उन्हें प्रभावित भूमि की चार गुना कीमत पर शुल्क और प्रभार चुकाना होगा. इससे सरकारी और निजी परियोजनाओं में एकसमान व्यवहार सुनिश्चित होगा.
नई व्यवस्था के तहत कलेक्टर रेट (जो सामान्यतः कृषि प्रयोजन के लिए तय होता है) को ही बेंचमार्क मानकर चार गुना मुआवजा तय किया जाएगा.
भले ही जमीन का भविष्य में औद्योगिक या आवासीय उपयोग होना हो, लेकिन मुआवजा कृषि रेट के आधार पर ही गणना कर दिया जाएगा. इससे मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता आएगी.
पुरानी नीति के खंड 5(सी) को संशोधित किया गया है ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और अधिक सुगम हो सके.
यदि कोई बिल्डर या निजी संस्था पंजीकरण के समय चार गुना कलेक्टर रेट या पिछले साल के सबसे अधिक दो बिक्री विलेखों के औसत मूल्य में से जो अधिक हो, वह कीमत देने को तैयार है, तो विभाग मुख्यमंत्री की स्वीकृति से उचित निर्णय ले सकता है.