भारत की जनगणना: देश की जनगणना की प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से शुरू होने जा रही है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने घोषणा की है कि जनगणना 2026 का पहला चरण 1 अप्रैल से शुरू होगा. इस चरण में घरों की स्थिति, सुख-सुविधाएं और भौतिक संपत्तियों की जानकारी जुटाई जाएगी.
जनगणना इस बार दो चरणों में पूरी की जाएगी, जिसमें पहला चरण हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस और दूसरा चरण पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (PE) होगा.
सेंसस कमिश्नर और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की ओर से सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया है, जिसमें उनसे जनगणना संबंधी सभी तैयारियां समय रहते पूरी करने को कहा गया है.
इस बार मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से डेटा कलेक्शन डिजिटल रूप से किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज़ हो सकेगी. इससे फील्ड वर्क से लेकर डेटा एनालिसिस तक का काम डिजिटाइज हो जाएगा.
जनगणना के पहले चरण में देश के हर घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति, सुख-सुविधाओं और संरचनात्मक विशेषताओं की जानकारी एकत्र की जाएगी.
इस चरण में पूछा जाएगा कि घर पक्का है या कच्चा, उसमें कितने कमरे हैं, घर में कितने लोग रहते हैं, और घर की दीवार, फर्श और छत किस सामग्री से बनी है.
दूसरे चरण में जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक जानकारी जुटाई जाएगी
दूसरा चरण यानी पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (PE) उस घर में रहने वाले हर व्यक्ति की जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक जानकारी एकत्र करेगा.
इसमें व्यक्ति की आयु, लिंग, शिक्षा, व्यवसाय, विवाह स्थिति, धर्म, भाषा, और अब पहली बार ‘जाति’ से संबंधित विवरण भी दर्ज किया जाएगा.
ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर ने लगभग तीन दर्जन सवालों की सूची तैयार की है जो हर नागरिक से पूछे जाएंगे. इनमें शामिल हैं:
क्या आपके पास फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, मोबाइल, इंटरनेट, रेडियो, पंखा या वाहन है?
इन सवालों का उद्देश्य देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की सटीक तस्वीर पेश करना है.
सरकार ने तय किया है कि जनगणना का अंतिम चरण 1 मार्च 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद डेटा का विश्लेषण और डिजिटलाइजेशन किया जाएगा.
30,000 जनगणना अधिकारी और 34 लाख फील्ड वर्कर इस प्रक्रिया में शामिल होंगे.
सुपरवाइजर, एन्यूमरेटर और तकनीकी स्टाफ का कार्य विभाजन जिला स्तर पर किया जाएगा.
सरकार ने इस बार जनगणना में जाति संबंधी डेटा भी एकत्र करने का निर्णय लिया है. यह फैसला लंबे समय से उठ रही मांगों और सामाजिक न्याय की दिशा में नीति निर्माण के लिए अहम माना जा रहा है.
जातिगत आंकड़े भविष्य में सरकारी योजनाओं और आरक्षण व्यवस्था को और अधिक सटीक बनाने में सहायक हो सकते हैं.
गौरतलब है कि भारत में हर 10 साल में जनगणना होती है. लेकिन 2021 की जनगणना कोविड महामारी के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी.
अब जब महामारी का असर कम हो चुका है, तो केंद्र सरकार ने 2026 में जनगणना की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे सरकारी योजनाओं, आबादी प्रबंधन और विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके.