दौलताबाद फोर्ट, जिसे देवगिरी किला भी कहा जाता है. यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. यह शिरडी से 95 किलोमीटर दूर है. आप यहां भी घूमने के लिए जा सकते हैं. यह ऐतिहासिक किला लगभग 200 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है. किला अपनी विशाल दीवारों और महल के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. यहां आसपास चारों तरफ हरियाली नजर आती है. ( Photos Credit : Getty Images )
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के पास में 12 चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध गुफाएं हैं, जिसे औरंगाबाद गुफाएं के नाम से जाना जाता है. आप इस ऐतिहासिक जगह को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं. इन गुफाओं को अजंता और एलोरा की गुफाओं से अलग माना जाता है. यह अपनी रॉक-कट वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. यह जगह शिरडी से 110 किमी की दूरी पर हैं.
अंजनेरी हिल्स शिरडी से लगभग 140 किमी की दूरी पर स्थित हैं. महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत है. इस जगह को भगवान हनुमान का जन्मस्थान माना जाता है. यह त्र्यंबकेश्वर पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है. अंजनेरी पर्वत पर अंजनी माता का मंदिर भी है. यहां तक ट्रेकिंग द्वारा पहुंचा जा सकता है.
आप बच्चों के साथ सिद्धार्थ गार्डन और चिड़ियाघर भी जा सकते हैं. यह शिरडी से लगभग 105 किमी की दूरी पर है. बाघ, शेर, तेंदुआ, सिवेट बिल्लिया, सांप, मगरमच्छ, लोमड़ी, हिरण, लकड़बग्घा जैसे जंगली जानवर देखने को मिलेंगे. साथ ही गार्डन में तरह-तरह के पेड़ पौधों देख सकते हैं. यह सुबह 09:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक खुलता है.
शिरडी से पांडवलेनी गुफाएं लगभग 100 किमी की दूरी पर हैं. आप यहां भी घूमने जा सकते हैं. इन्हें त्रिरश्मी गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है. यह महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास स्थित इन गुफाओं को पहाड़ों को काटकर बनाया गया था. यहां घूमने का सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है.
आप पंचवटी नासीक भी जा सकते हैं. यह शिरडी से 95 किमी की दूरी पर है. गोदावरी नदी के किनारे बसा यह शहर बहुत ही खूबसूरत है. माना जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास का कुछ समय यहां बिताया था. यहां पर सीता गुफा, कालाराम मंदिर, कपालेश्वर मंदिर और रामकुंड के दर्शन के लिए जा सकते हैं.