नैनीताल की वादियों में बसा कैंची धाम लोगों के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र है. यह जगह दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. आत्म शांति और सुकून की तलाश में कई बड़े सेलिब्रिटी भी यहां आते हैं, लेकिन इसी आश्रम के पास एक मंदिर है, जिसे जरूर विजिट करना चाहिए. हालांकि कम ही लोग इस मंदिर के बारे में जानते हैं और इसी वजह से यहां पर भीड़ भी बहुत कम होती है, जिससे दर्शन भी बढ़िया होते हैं. बाबा नीम करौली के आश्रम आएं तो इसे पास का ये मंदिर भी आपको जरूर विजिट करना चाहिए. जहां आपको अध्यात्मिक शांति का गहराई से अनुभव होगा और कैंची धाम की आपकी यात्रा और भी सुकून भरी बन जाएगी.
कैंची धाम पर देश के साथ ही विदेश के लोग भी माथा टेकने पहुंचते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि यहां पर जो मांगा जाए वो पूरा हो जाता है. 1964 में इस आश्रम की स्थापना की गई थी. बाबा की समाधि के साथ ही यहां पर भगवान हनुमान की प्रतिमा भी है जो बेहद चमत्कारिक मानी जाती है. फिलहाल हम जानेंगे यहीं पर पास ही में स्थित एक मंदिर के बारे में जहां जाना आपके लिए कमाल का एक्सपीरियंस रहने वाला है.
कैंची धाम से इतनी दूरी पर है मंदिर?नीम करोली बाबा के आश्रम यानी कैंची धाम से यह मंदिर महज 5 से साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर है. ये हनुमान जी का मंदिर है. जो कुमाऊं की पहाड़ियों के बीच बना हुआ है. जिसे भूमियांधार मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का उदघाटन कैंची धाम के तीन साल बाद 1967 में हुआ था. यहां पर ठहरने की व्यवस्था नहीं है, लेकिन एक दिन की ट्रिप आप आराम से प्लान कर सकते हैं. कैंची धाम से आपको आराम से कोई भी लोकल वाहन मंदिर के लिए मिल जाएगा.
भूमियांधार मंदिर (Image Credit: maharajji.love)
क्यों खास है ये मंदिर?कैंची धाम के पास स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि बाबा जी यहां पर ठहरा करते थे और मेडिटेशन भी किया करते थे. आपको मंदिर के अंदर हनुमान की जी की बेहद प्यारी प्रतिमा के दर्शन होंगे साथ ही वह स्थान भी है जहां बाबा मेडिटेशन करने के अलावा परोपकार के काम करते थे और भक्तों को दर्शन भी देते थे.
भूमियांधार मंदिर (Image Credit: maharajji.love)
भूमियांधार आश्रम या मंदिर की कहानीइस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि नीम करौली महाराज जब हनुमानगढ़ जाते थे तो गेठिया-भूमियाधार के रास्ते में स्थित भूमियाधार गांव जरूर आते थे और उनके यहां पहुंचने पर भक्तगण भी पहुंच जाते थे, जिसके बाद कल्याणकारी कार्यक्रमों से लेकर कीर्तन, भंडारा आदि होता था. इस दौरान एक भक्त ने बाबा जी को झोपड़ी बनाने के लिए सड़क किनारे जमीन का एक टुकड़ा दिया था. जब भी नीम करौरी बाबा यहां आते तो उसी झोपड़ी में ठहरते थे और यहीं से उन्होंने अलग-अलग जगहों की यात्राएं भी की थीं. इसके बाद वहां मंदिर का निर्माण किया गया. आप भी अगर कैंची धाम आ रहे हैं तो भूमियांधार मंदिर आना न भूलें.