हरियाणा स्पोर्ट्स स्टेडियम: हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव के लिए एक बड़ी और गर्व की खबर सामने आई है. यहां खेल विभाग ने 17 करोड़ रुपये की लागत से एक आधुनिक खेल स्टेडियम के निर्माण को मंजूरी दी है. इस फैसले से गांव के खिलाड़ी और खेल प्रेमी बेहद उत्साहित हैं.
अब तक खिलाड़ियों को खेवड़ा या दिल्ली जाकर अभ्यास करना पड़ता था, लेकिन स्टेडियम बन जाने के बाद उन्हें गांव में ही सुविधाजनक प्रशिक्षण मिल सकेगा.
नाहरी गांव ने खेलों के क्षेत्र में देशभर में अपनी पहचान बनाई है. यहां के 20 से अधिक पहलवान ऐसे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर गांव और राज्य का नाम रोशन किया है. इसके अलावा, लगभग 150 खिलाड़ियों को खेलों की बदौलत विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरियां भी मिल चुकी हैं.
इनमें से अमित दहिया, जो खुद एक सफल खिलाड़ी रहे हैं, आज खेल विभाग में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत हैं.
इस खेल क्रांति की शुरुआत साल 1996 में गांव के महात्मा हंसराज द्वारा की गई थी. उन्होंने गांव वालों के विरोध के बावजूद नहर किनारे पहलवानों को तैयार करना शुरू किया.
प्रारंभ में चक्की के पाटों को पेड़ों पर लटकाकर देसी जिम बनाई गई थी. यहीं से शुरू हुआ था गांव में खेलों के प्रति रुचि और जुनून का सफर, जिसने अब जाकर सरकारी मंजूरी और करोड़ों की योजना का रूप ले लिया है.
स्टेडियम के निर्माण से न केवल मौजूदा खिलाड़ियों को फायदा मिलेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी बेहतर प्रशिक्षण, सुविधाएं और अवसर उपलब्ध होंगे. इससे गांव के युवाओं को बड़े शहरों की ओर पलायन करने की आवश्यकता नहीं रहेगी, और स्थानीय प्रतिभाओं को वहीं पर प्रोत्साहन मिलेगा.
नाहरी गांव न केवल खेल प्रतिभा का केंद्र बना है, बल्कि यह उदाहरण भी बन गया है कि किसी भी छोटे से गांव में दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.
गांव में खेलों के प्रति जो जुनून और परंपरा शुरू हुई, वह अब आधिकारिक रूप से संरक्षित और सशक्त होने जा रही है. यह केवल एक स्टेडियम नहीं, बल्कि गांव के संघर्ष, लगन और सफलता की प्रतीक भी है.
जिस तरह से नाहरी गांव में खेलों के माध्यम से युवाओं को रोजगार, पहचान और सम्मान मिला है, उसी तरह यह मॉडल हरियाणा के अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है. अगर इसी तरह प्रत्येक गांव को खेल सुविधाएं मिलें, तो हरियाणा खेलों में देश की सबसे बड़ी ताकत बन सकता है.