बागेश्वर धाम का वो मंदिर जहां आज तक नहीं जला कोई बल्ब… जलाते ही हो जाता है फ्यूज!
TV9 Bharatvarsh July 04, 2025 08:42 PM

बागेश्वर धाम सरकार का मंदिर देश विदेश में चर्चा में लेकिन यह मंदिर चर्चा में आया 2012 में और इसका प्रचार प्रसार लगभग 2016 में हुआ, लेकिन यह यह धाम सदियों पुराना है. बागेश्वर धाम में जब आप बालाजी हनुमान के दर्शन के लिए जाते हैं तो परिक्रमा मार्ग में एक मंदिर पड़ता है जो इस धाम की नींव है. यह मंदिर महादेव का है और उनका नाम है बागराज महाराज.

आज भी इस मंदिर के गर्भ ग्रह में पूजा की जाती है. इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और किस्से यहां के आम नागरिक को कोई जुबान पर हैं. उनका मानना है कि ये कोई आम तीर्थ स्थल नहीं यह एक सिद्ध स्थान है जिसे सन्यासी बाबा नाम के एक संत ने अपनी तपस्या से सिद्ध किया था. वह इस शिवलिंग की रोज पूजा करते थे और यही उन्होंने सिद्धियों को प्राप्त किया था. जिसके बाद वह यहां से आम जन का कल्याण करते थे.

मंदिर में आज तक नहीं लगा बल्ब

इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1986 में किया गया. इस मंदिर को लेकर एक बहुत खास बात है जो यहां के लोग आज भी अनुभव करते हैं. खास बात यह है कि इस मंदिर में श्रद्धा के दीपक के अलावा कोई अन्य वस्तु उजाला नहीं कर दे सकती यानि की सिर्फ और सिर्फ दिए की रोशनी या भगवान सूर्य का प्रकाश ही इस मंदिर को प्रकाशित कर सकता है. इस मंदिर में आज तक कोई बल्ब नहीं लगाया गया है. इसके गर्भ ग्रह में जब भी बल्ब लगाने का प्रयास किया गया तो वह फ्यूज हो जाता है, मतलब भगवान उसे स्वीकार नहीं करते. लोगों का मानना है कि ऐसा नहीं की गर्भ ग्रह में बिजली लगाने का प्रयास नहीं किया गया लेकिन जब भी इस मंदिर में बल्ब लगाया गया तो वह फ्यूज हो जाता है.

इस मंदिर को क्यों कहते थे बागराज महाराज

लोगों का कहना है कि 300 साल पहले इस मंदिर की नींव रखी गई थी, तब ये एक जंगलों से घिरा इलाका था जहां अक्सर बाघ आ जाया करते थे, यही कारण था कि यहां विराजने वाले महादेव को बागराज महाराज का नाम दिया गया. आज भी ये मंदिर लोगों की आस्थास्थली है. भक्तों का कहना है कि यहां मांगी उनकी हर मुराद पूरी होती है और इस मंदिर में आज भी संन्यासी बाबा जल चढ़ाने आते हैं. इस मंदिर के बारे में सुनकर तो हर कोई यही कहता है कि आस्था के आगे आधुनिकता नकमस्तक है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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