मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बने 90 डिग्री टर्न वाले फ्लाईओवर की खूब चर्चा हुई. NHAI ने इस ब्रिज की जांच करने के बाद इसमें ट्रैफिक को शुरू करना घातक बताया है. पूरे देश में इस फ्लाईओवर की चर्चा तो हो ही रही है. इस बीच पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 45° से ज्यादा ढलान वाली सड़क की जांच का आदेश सुनाया गया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने ये फरमान दिया है.
हिमाचल प्रदेश में 30 जून को भारी बारिश के कारण कई इमारतें घिर गई थीं. इन घटनाओं पर बोलते हुए मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, मैंने घर ढहने वाली जगह का दौरा किया और देखा कि 70 प्रतिशत डिग्री पर वर्टिकल कटिंग की गई है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि संवेदनशील जगहों पर कटिंग 45 डिग्री ढलान पर की जाए, न कि वर्टिकल.
बता दें कि शिमला और आस-पास के इलाकों में भूस्खलन के खतरे को कम करने के लिए NGT ने भी संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि 45 डिग्री से अधिक ढलान वाले क्षेत्रों में कोई निर्माण गतिविधि न हो. NGT ने कहा कि अधिक मिट्टी वाले चट्टानी क्षेत्रों में ढलान को घटाकर 35 डिग्री किया जाना चाहिए, जबकि कठोर भूमिगत सतह वाले क्षेत्रों के लिए 45 डिग्री बनाए रखा जाना चाहिए.
विक्रमादित्य सिंह ने क्या कहा?विक्रमादित्य ने कहा, जिला स्तरीय समिति एक रिपोर्ट तैयार करेगी और ढही हुई इमारत की कुल लागत का आकलन करेगी. एनएचएआई ने कुल नुकसान की भरपाई करने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा, मैंने यहां और पूरे राज्य के स्थानीय लोगों की चिंताओं से अवगत कराया है. खासकर, उन इलाकों में जहां एनएचएआई अधिग्रहित चौड़ाई से बाहर काम कर रहा है, जिससे आस-पास की इमारतों को खतरा पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण में अत्यधिक मलबा डालने से जंगलों को नुकसान हो रहा है और जल स्रोतों पर असर पड़ रहा है.
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, चाहे वह निजी भूमि पर हो या वन भूमि पर. हालांकि, हम एनएचएआई द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण काम को कम नहीं आंकते हैं और उचित समन्वय की आवश्यकता है. कई बार समन्वय की कमी के कारण समस्याएं पैदा होती हैं, लेकिन हमें बातचीत करनी चाहिए और जनता की शिकायतों का समाधान करना चाहिए.
मंडी में कई घर ध्वस्तहिमाचल के मंडी में 30 जून को भूस्खलन के कारण कई घर ध्वस्त हो गए थे. सोमवार को भारी बारिश के कारण शिमला में एक 5 मंजिला इमारत ढह गई. घर के मालिक ने आरोप लगाया कि पास में चल रहे चार लेन के सड़क निर्माण के कारण इमारत में दरारें आ गई हैं. गांव के उप प्रधान यशपाल वर्मा ने भी निर्माण में शामिल कंपनी को दोषी ठहराया और कहा कि पिछले साल इमारत में दरारें आ गई थीं. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कंपनी ने निर्माण को नहीं रोका, डिसकी वजह से और भी कई घरों को खतरा है.
फ्लाईओवर को लेकर क्या है नियम?पीडब्ल्यूडी और NHAI के दिशानिर्देशों और मानकों के अनुसार अमूमन आरओबी या फ्लाईओवर पर 90 डिग्री तक के मोड़ की ही अनुमति होती है. इसका आशय यह कतई नहीं है कि सीधे जा रहे आरओबी या फ्लाईओवर को अचानक 90 डिग्री पर तीव्र (sharp) मोड़ दिया जाएगा. नियमत: सभी स्थितियों का आकलन करने के बाद मोड़ को कर्व के रूप में बनाया जाता है.