शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बचपन के स्कूल पहुंचे, स्मार्ट क्लासरूम, हाइजिन किचन का किया उद्घाटन
TV9 Bharatvarsh July 03, 2025 09:42 PM

स्कूल से हर व्यक्ति का खास जुड़ाव होता है. बड़े होने के बाद एक बार फिर स्कूल जाना सभी को काफी ज्यादा भावुक कर देता है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गुरुवार को अपने बचपन के स्कूल पहुंचे.

शिक्षा मंत्री ओडिशा के तालचेर के अपने बचपन के स्कूल हांडीधुआं प्राइमरी स्कूल पहुंचे. इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर सालों बाद अपने बचपन के स्कूल जाने की भावनाएं सभी के साथ शेयर की.

स्मार्ट क्लासरूम, हाइजीन किचन का उद्घाटन

शिक्षा मंत्री न सिर्फ अपने स्कूल गए बल्कि उन्होंने स्कूल को कई सौगात दी. शिक्षा मंत्री ने स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम का उद्घाटन किया. जो शिक्षा को और भी बेहतर बनाएगी, इन क्लास के जरिए छात्र कई नई चीजें सीख सकेंगे, साथ ही टेक्नोलॉजी से जुड़ सकेंगे.

इसी के साथ शिक्षा मंत्री ने बच्चों के स्वाथ्य का ध्यान रखते हुए एक हाइजीन किचन का भी उद्घाटन किया है. साथ ही नवीकृत भवन और डाइनिंग हॉल का भी उद्घाटन किया गया. इसी के साथ एक पेड़ मां के नाम के तहत 76वें वन महोत्सव 2025 में वृक्षारोपण भी किया.

आज एक बार फिर अपने बचपन के विद्यालय हांडीधुआं प्राइमरी स्कूल, तालचेर में आकर मन भावविभोर हो गया।

इस प्रांगण ने मुझे अक्षर ज्ञान दिया, सपनों की उड़ान दी और संस्कारों की नींव रखी। आज यहाँ स्मार्ट क्लासरूम, हाइजीन किचन, नवीकृत भवन और डाइनिंग हॉल का उद्घाटन तथा एक पेड़ माँ के pic.twitter.com/PnWeXnnm3k

— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp)

शिक्षा मंत्री ने क्या – क्या कहा?

शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, आज एक बार फिर अपने बचपन के विद्यालय हांडीधुआं प्राइमरी स्कूल, तालचेर में आकर मन भावविभोर हो गया. इस प्रांगण ने मुझे अक्षर ज्ञान दिया, सपनों की उड़ान दी और संस्कारों की नींव रखी. आज यहां स्मार्ट क्लासरूम, हाइजीन किचन, नवीकृत भवन और डाइनिंग हॉल का उद्घाटन और एक पेड़ मां के नाम के अंतर्गत 76वें वन महोत्सव 2025 में वृक्षारोपण करना मेरे लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव रहा.

विकसित भारत को लेकर क्या कहा?

उन्होंने आगे कहा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए से हम जिस समग्र, जड़ों से जुड़ी और भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रणाली की कल्पना कर रहे हैं, वो इन्हीं स्कूलों से साकार होगी, जहां शिक्षा सिर्फ परीक्षा नहीं, बल्कि व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण का जरिया बने. हांडीधुआं विद्यालय के इन बच्चों की आंखों में जो तेज है, वही विकसित भारत 2047 का आलोक बनेगा.

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