निवेश के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड, BBA-MCA पास युवाओं ने 1 महीने में ठगे ₹10 करोड़; जानें पूरा मामला

दिल्ली के एक शख्स ने साक्षी यादव नाम की लड़की को कभी देखा तक नहीं था, फिर भी उसने उससे जुड़े एक परिचित के बैंक अकाउंट में 8.15 लाख रुपए भेज दिए. ऐसा कैसे हुआ? साक्षी ने अपनी बातों और चालाकी से WhatsApp पर लगातार बातचीत करके उसका पूरा भरोसा जीत लिया. फिर उसने उसे शेयर मार्केट में निवेश के लिए एक लिंक भेजा और एक खास WhatsApp ग्रुप ‘eToro Analytical Team & Time is money’ में शामिल कर दिया.
जब उस शख्स ने पूछा कि इस ग्रुप को कौन चलाता है, तो साक्षी ने बताया कि उसके चाचा और एक शख्स राकेश हैं. ग्रुप में उसे बड़े मुनाफे वाली झूठी कहानियां सुनाई गईं, ये दिखाया गया कि जो लोग निवेश कर रहे हैं, उनकी जिंदगी कैसे बदल रही है. लेकिन असलियत में ये सब एक बड़ा धोखा था. आइए जानते हैं कि कैसे इस युवा ठग एक महीने में 10 करोड़ 40 लाख 94 हजार रुपये से ज्यादा ठगकर लोगों के सपनों को तोड़ गए, जो भारत से हैं लेकिन नेपाल से काम करती है.
27-28 साल के युवाओं ने सिर्फ 1 महीने में 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कैसे की?
शाहदरा के डीसीपी आईपीएस प्रशांत गौतम ने बताया कि ये ठग ज्यादा उम्र के नहीं थे, सिर्फ 27 से 28 साल के. लेकिन सिर्फ एक महीने में इन्होंने 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर डाली. वो भी बहुत ही प्लानिंग से. ये लोग सोशल मीडिया, WhatsApp या Telegram पर लोगों से संपर्क करते थे. खुद को शेयर बाजार के एक्सपर्ट या फाइनेंशियल एडवाइजर बताते थे और कहते थे - 'हम आपको बहुत कम समय में ज्यादा रिटर्न दिला सकते हैं.'
शुरुआत में ये लोगों से थोड़ा पैसा मंगवाते और फिर झूठा मुनाफा दिखाते या कभी-कभी थोड़ा पैसा वापस भी कर देते. इससे लोगों का भरोसा जीत लेते. फिर धीरे-धीरे उन्हें ज्यादा निवेश करने के लिए कहते. जब कोई व्यक्ति लाखों रुपए लगा देता, तो बहाना बना देते कि 'अकाउंट फ्रीज हो गया है' या 'बड़ा नुकसान हो गया है'. फिर ना कॉल उठाते, ना कोई जवाब देते और अचानक गायब हो जाते.
दिल्ली वाले शख्स के साथ भी ऐसा ही हुआ
एक दिल्ली के युवक ने इन पर भरोसा कर 8.15 लाख रुपये दे दिए. जब उसे शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है, तो उसने तुरंत NCRP पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई और साइबर थाने में FIR भी कराई. इस केस में पुलिस ने 2 अप्रैल 2025 को FIR नंबर 29/25 दर्ज की. जांच के लिए एसआई श्वेता शर्मा, एएसआई राजदीप, हेड कॉन्स्टेबल जावेद, हरेन्द्र और कॉन्स्टेबल रंजीत की टीम बनाई गई, जिसका नेतृत्व SHO विजय कुमार और ACP गुरदेव सिंह कर रहे हैं.
गौतम के अनुसार, इतनी बड़ी ठगी को अंजाम देने के लिए आरोपियों को बड़ी संख्या में बैंक खातों की जरूरत थी. इसके लिए उन्होंने लोगों को पैसे का लालच देकर उनके अकाउंट खाते खुलवाए और फिर उनके अकाउंट का एक्सेस ले लिया. (इस तरह की धोखाधड़ी को 'मनी म्यूल फ्रॉड' कहा जाता है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल स्कैमर्स को करने देता है ताकि वे अवैध पैसे को एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर सकें.)
आंध्र प्रदेश की केनरा बैंक से लेकर गोरखपुर की एक्सिस बैंक तक का ट्रांजैक्शन ट्रेल
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने उन बैंक खातों की जांच शुरू की जिनमें ठगी के शिकार लोगों से पैसे मंगवाए गए और बाद में उन्हें इधर-उधर ट्रांसफर कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई. डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि साइबर थाने की एक स्पेशल टीम ने संदिग्ध बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स को ट्रैक किया. जांच के दौरान यह सामने आया कि ₹5,75,000 की राशि एक केनरा बैंक अकाउंट में जमा हुई, जो आंध्र प्रदेश से जुड़ा था. इसके बाद ट्रांजैक्शन ट्रेल में पता चला कि पूरी राशि गोरखपुर स्थित एक्सिस बैंक के एक अकाउंट में ट्रांसफर की गई.
एक्सिस बैंक ने दिल्ली पुलिस को जानकारी दी कि जिस अकाउंट में यह पैसा गया, वह शशि प्रताप सिंह और उनके पिता रामाशंकर सिंह के नाम पर है, जो दोनों गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं. गौतम ने बताया कि काफी मेहनत के बाद पुलिस को शशि प्रताप सिंह और उनके पिता के बारे में असली जानकारी मिली. फिर आरोपी शशि प्रताप सिंह के पिता रामाशंकर सिंह को धारा 35(3) BNS के तहत नोटिस भेजा गया.
रामाशंकर सिंह ने बताया कि वे और उनका बेटा शशि प्रताप, दोनों मिलकर जिस SRG TREE Pvt. Ltd. नाम की फर्म के एक्सिस बैंक खाते के जॉइंट होल्डर हैं, वहीं अकाउंट का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि अकाउंट उनका बेटा शशि प्रताप सिंह ऑपरेट करता था और उसे भी इन ट्रांजैक्शन्स की कोई जानकारी नहीं थी. जांच अभी जारी है और पुलिस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है.
आरोपी की गिरफ्तारी और पूछताछ ने खोला ठगी का पूरा राज
डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने जब ठगी के इस मामले की अच्छे से जांच की, तो एक अहम आरोपी शशि प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. पुलिस ने उसके पास से एक सैमसंग मोबाइल, उसी से जुड़ा SIM कार्ड और उसकी फर्जी कंपनी SRG TREE के दो स्टांप और दो पेम्फलेट कार्ड बरामद किए. पूछताछ में शशि ने बताया कि उसे एक युवक निहाल पांडेय नेपाल लेकर गया था, जहां वे एक होटल में ठहरे और उनके साथ तीन और लड़के भी थे.
इसके बाद पुलिस ने निहाल पांडेय को भी गोरखपुर से गिरफ्तार किया. उसके पास से पुलिस ने एक एक्सिस बैंक की चेकबुक, जिसमें ₹5.75 लाख ट्रांसफर हुए थे, दो मोबाइल फोन और तीन सिम कार्ड जब्त किए. निहाल ने बताया कि किसी और शख्स ने उससे बैंक अकाउंट्स और SIM कार्ड्स का इंतजाम करने को कहा था. इसी के लिए वह शशि को नेपाल लेकर गया और उसका SIM कार्ड उस शख्स को दे दिया. निहाल ने शशि को वादा किया था कि हर लेन-देन पर उसे 1.5% कमीशन मिलेगा. वे सभी करीब 15 दिन नेपाल में रुके और इस दौरान पूरे एक महीने में ₹10 करोड़ 40 लाख 94 हजार रुपए की ठगी की गई.
इतना ही नहीं, एक व्यक्ति ने शशि प्रताप को ₹8-10 लाख नकद भी दिए थे, जिसमें से निहाल को भी कमीशन मिला. पुलिस की जांच में यह साफ हुआ कि यह एक संगठित ठगी गैंग था जो बाहर से भोले-भाले दिखने वाले युवकों की मदद से करोड़ों की ठगी को अंजाम दे रहा था. अभी तक दो आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है - शशि प्रताप सिंह (उम्र 28 साल, BBA पास) और निहाल पांडेय (उम्र 27 साल, MCA पास) – दोनों गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. पुलिस बाकी नेटवर्क को पकड़ने में भी जुटी हुई है.