मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की समस्या, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असंतुलित वितरण
Samachar Nama Hindi July 04, 2025 02:42 PM

मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भरमार और अतिशेष शिक्षकों की समस्या एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अधिकता है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। प्रदेश में करीब 6,000 अतिशेष शिक्षक हैं, जिनका समायोजन अब तक सही तरीके से नहीं हो पाया है।

शिक्षक तबादलों के मामले में भी एक गड़बड़ी देखने को मिल रही है। अब तक 8,000 शिक्षकों के स्वैच्छिक तबादले किए गए हैं, जबकि 2,000 प्रशासकीय तबादले भी किए गए हैं। हालांकि, इन तबादलों के बाद भी, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा जैसे बड़े शहरों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या काफी अधिक हो गई है।

यह असंतुलन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षक वितरण में खामियों को उजागर करता है। ग्रामीण स्कूलों में शिक्षक कम हैं, जिसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। वहीं शहरी स्कूलों में अत्यधिक शिक्षकों की संख्या का भी कोई प्रभावी उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिससे शिक्षक संसाधनों का कुशल प्रबंधन आवश्यक बन गया है।

शिक्षक संघों और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का समाधान एक सुनियोजित तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि सभी क्षेत्रों में समान रूप से शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा दिया जा सके। शहरी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की समान वितरण के लिए एक स्थायी नीति की जरूरत है, जो समान अवसरों को बढ़ावा दे और शिक्षकों का समुचित इस्तेमाल हो।

सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए नई नीति तैयार करने की बात की है, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच समंजन और अतिशेष शिक्षकों के लिए नए कार्य क्षेत्र का निर्धारण किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षित और समर्पित कार्यक्षेत्र का ध्यान रखते हुए शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भी सुधार की आवश्यकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि शिक्षकों का संतुलित वितरण हो सके और सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

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