CII के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से मजबूत घरेलू मांग, सरकार द्वारा किए जा रहे पूंजीगत व्यय और निवेश के अनुकूल माहौल से प्रेरित होगी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ये आंतरिक कारक भारत को वैश्विक आर्थिक मंदी और भू-राजनीतिक तनाव जैसी बाहरी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएंगे।
रिपोर्ट में विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में भी अच्छी वृद्धि की संभावना जताई गई है, जो रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। CII ने यह भी बताया कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और ब्याज दरों को स्थिर रखना वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
यह अनुमान भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलेपन और अंतर्निहित शक्ति को दर्शाता है, जो इसे वैश्विक चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है। CII का यह दृष्टिकोण निवेशकों के लिए उत्साहजनक है और भारतीय बाजार में सकारात्मक भावना को बढ़ावा दे सकता है। यह निश्चित रूप से भारत के 'विकसित राष्ट्र' बनने के लक्ष्य की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।