Generation X (जनरेशन X)
इस पीढी मे आने वाले लोग वह होते है जिनका जन्म 1960 के शुरू से लेकर 1980 की शुरुआत मे होता है। इस पीढी ने द्वित्य विष्व युद्ध के बाद वाले सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव को देखा है। जनरेशन X का यह मानना रहा है की काम जरूरी है पर साथ ही निजी जीवन मे संतुलन बना रहना भी जरूरी है।
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Millennials (Generation Y)
यह वो पीढी है जो जेनेरेशन X के बाद आती है। इनका जन्म लगभग 1981 से 1996 के बीच मे हुआ होता है। मिलेनियल्स ऐसे दौर में बड़े हुए जब तकनीक तेजी से विकसित हो रही थी, लेकिन उनका बचपन पूरी तरह डिजिटल नहीं था।
Generation Z
जेनेरेशन Z मे वह लोग आते है जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच मे हुआ हो। ये स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया के युग मे बड़ी होने वाली पीढी है। ये जेनेरेशन Hustle Culture के विरोध मे रहता है। इनका मानना Hard Work से ज्यादा Smart वर्क मे रहता है। इनकी प्राथमिकता मेंटल और फिजिकल हेल्थ रहती है।
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बदलती कार्य प्राथमिकताएं
आज की पेशेवर दुनिया में काम करने के तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। खासकर नई पीढ़ी, यानी Gen Z, फुल टाइम इन ऑफिस - 9 से 5 की ऑफिस संस्कृति से दूरी बनाती नजर आ रही है। अब उनकी प्राथमिकता है - वर्क फ्रॉम होम, हाइब्रिड मॉड और फ्रीलांसिंग जैसे लचीले (flexible) विकल्प।
टेक्नोलॉजी और AI
प्रौद्योगिकी प्रगति (Technological Advancements) के कारण काम मे आसानी बन रही है। अब कम समय मे अच्छा परिणाम आसानी से मिल जाता है।
मेंटल और फिजिकल हेल्थ
आज के लोगो के लिए पैसे कमाने का मतलब करोड़पति बनना नहीं है, बल्कि एक स्थिर, सुकून भरी और मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ जिंदगी जीना है। वे पारंपरिक करियर रास्तों से हटकर ऐसे नए रास्तों की तलाश करते हैं जो उन्हें आत्मिक संतुलन, समय की आज़ादी और व्यक्तिगत विकास की सुविधा दें।
Hustle Culture को नकारना
जहां पहले के समय में एक से ज्यादा जॉब करना या लगातार side hustles में लगे रहना सफलता और मेहनती होने का प्रतीक माना जाता था, वहीं Gen Z इस सोच को पूरी तरह से चुनौती दे रही है। उनके लिए लगातार थकते जाना, burnout झेलना, और "हमेशा बिज़ी" रहना अब प्रोग्रेस का पैमाना नहीं है। वो समझ चुके हैं कि productivity के नाम पर health और happiness को कुर्बान करना एक toxic expectation है। Gen Z अब ऐसी वर्क कल्चर को नकारती है जो इंसान को मशीन बना देता है जहां boundaries का कोई मूल्य नहीं और आराम को आलस समझा जाता है। वे साफ कहते हैं कि sustainable growth वही है जिसमें मानसिक शांति, self-worth और काम के बाहर की ज़िंदगी भी शामिल हो।