पेनकिलर क्या होती है और ये कैसे काम करती है?
पेनकिलर यानी दर्द निवारक दवाएं, मुख्य रूप से शरीर में मौजूद प्रोस्टाग्लैंडिन नामक रसायन के निर्माण को रोकती हैं। यह रसायन दर्द, सूजन और बुखार में भूमिका निभाते हैं। जब इन रसायनों की सक्रियता कम हो जाती है, तो दर्द की अनुभूति भी कम हो जाती है। आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली पेनकिलर में पैरासिटामोल, आइबुप्रोफेन, डाइक्लोफेनैक, नैप्रोक्सन आदि शामिल होती हैं।
खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या नुकसान हो सकता है?
1. पेट की परत को नुकसान: जब हम पेनकिलर खाली पेट लेते हैं, तो यह सीधे तौर पर पेट की अंदरूनी परत (gastric lining) को प्रभावित करती है। इससे एसिडिटी, गैस, जलन और अल्सर की समस्या हो सकती है। कई बार लंबे समय तक ऐसा करने से पेट में छाले (gastric ulcers) तक बन जाते हैं।
2. आंतों में सूजन और ब्लीडिंग: कुछ Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drugs (NSAIDs) जैसे कि आइबुप्रोफेन या डाइक्लोफेनैक, आंतों की परत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे इंटेस्टाइनल ब्लीडिंग या सूजन हो सकती है, जिसका इलाज लंबे समय तक चल सकता है।
3. लिवर और किडनी पर असर: खाली पेट पेनकिलर लेने से दवा का प्रभाव सीधा लिवर और किडनी पर पड़ता है। लिवर को दवा के रसायनों को प्रोसेस करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे लिवर फंक्शन कमजोर हो सकता है। इसके अलावा, किडनी में रक्त संचार पर भी असर पड़ता है, जिससे kidney failure का खतरा बढ़ जाता है।
4. दर्द में समस्या बनी रहती है: खाली पेट पेनकिलर लेने से आपको तात्कालिक राहत तो मिल सकती है, लेकिन इसका असर अस्थायी होता है। लंबे समय तक लगातार इस आदत को अपनाने से दवा का असर कम हो जाता है, जिससे आपको बार-बार पेनकिलर की ज़रूरत पड़ने लगती है, यानी ड्रग डिपेंडेंसी।
किन बातों का रखें खास ध्यान?
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