प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा के तहत त्रिनिदाद और टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा के बाद अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स पहुंच चुके हैं. वहां पर प्रधानमंत्री का जोरदार स्वागत हुआ. प्रधानमंत्री मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई इस दौरान दोनों देशों में रणनीतिक साझेदारी पर और जोर दे सकते हैं. इसी अर्जेंटीना में एक ऐसा खजाना मिलता है, जिसकी आज पूरी दुनिया को जरूरत है.
आइए जान लेते हैं कि क्या है वो खजाना? कैसे अर्जेंटीना अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे रहा और भारत से यह देश क्या खरीदता और क्या बेचता है? दुनिया को अर्जेंटीना क्या-क्या देता है?
अर्जेंटीना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिथियम उत्पादकअर्जेंटीना में पाए जाने वाले खजाने का नाम है लिथियम. इसका अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है. वास्तव में यह देश लिथियम ट्रायएंगल का हिस्सा है. इस ट्रायएंगल में दो और देश बोलीविया और चिली शामिल हैं. ये तीनों देश मिलकर दुनिया के करीब 80 फीसदी लिथियम का उत्पादन करते हैं. अर्जेंटीना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक है और यहां दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार पाया जाता है.
अर्जेंटीना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है. फोटो: Pixabay
साल 2025 में 75 फीसदी लिथियम उत्पादन का लक्ष्यसाल 2025 के लिए अर्जेंटीना ने 130800 टन लिथियम के उत्पाद का लक्ष्य तय किया है जो पिछले साल (2025) के मुकाबले 75 फीसदी ज्यादा है. अर्जेंटीना चैंबर ऑफ माइनिंग कंपनीज के अनुसार इस साल अर्जेंटीना में लिथियम उत्पादन का ज्यादातर हिस्सा साल्टा में नए ऑपरेशंस और अन्य ऑपरेशंस के विस्तार के जरिए मिलने की उम्मीद है. फिलहाल अर्जेंटीना में 6 एक्टिव लिथियम ऑपरेशंस हैं, जिनके जरिए साल 2024 में 74600 टन लिथियम का उत्पादन हुआ था. यह साल 2023 में हुए कुल उत्पादन के मुकाबले 62 फीसदी ज्यादा था.
दुनिया भर के लिए जरूरी है अर्जेंटीना का यह खजानाअर्जेंटीना में पाया जाने वाला लिथियम आज दुनिया भर की जरूरत बन चुका है. दरअसल, इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिकल व्हीकल, बैटरी और एनर्जी सेक्टर में भारी मात्रा में किया जाता है. हाल के वर्षों में दुनिया भर में इलेक्ट्रिकल व्हीकल का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और भारत समेत दुनिया भर के देश इसको बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं. स्वच्छ ऊर्जा की रणनीति को बढ़ावा देने में लिथियम की अहम भूमिका है.
इसके अलावा पेट्रोल, डीजल और सीएनजी वाहनों में लगने वाली बैटरियों में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए भी है दुनिया भर के देशों की जरूरत है. वर्तमान में चीन दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम का उपभोक्ता है, क्योंकि वहां सबसे अधिक कारों का उत्पादन होता है और वही कारों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा के लिए लिथियम बेहद जरूरी है.
साल 2024 में भारत-अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.2 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच था.
भारत हासिल कर चुका लिथियम खनन का अधिकारभारत अपने यहां ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों पर काम कर रहा है. खासकर खाड़ी देशों में उठा-पटक के चलते ऊर्जा की जरूरतें पूरी करने में अर्जेंटीना की प्रमुख भूमिका हो सकती है. इसलिए अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में लिथियम की खुदाई का अधिकार भारत की खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड पहले ही हासिल कर चुकी है. इसके लिए 15 जनवरी 2024 को भारत और अर्जेंटीना के बीच लिथियम की खुदाई पर एक समझौता हुआ था. इस समझौते की लागत 200 करोड़ रुपये थे. इसी के तहत भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड को अर्जेंटीना में खनन का अधिकार मिला है और उसे पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाने हैं.
भारत से अर्जेंटीना क्या-क्या खरीदता और बेचता है?आज की तारीख में भारत अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है. साल 2019 से 2022 के बीच इन दोनों देशों में हुआ द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़ गया था और यह 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 53 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है. वहीं, साल 2024 में भारत-अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.2 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच चुका था. भारत से अर्जेंटीना को पेट्रोलियम ऑयल, एग्रीकल्चरल केमिकल और दोपहिया वाहन आदि का निर्यात किया जाता है. वहीं, अर्जेंटीना से भारत वनस्पति तेल जैसे कि सोयाबीन का तेल और सूरजमुखी का तेल, चमड़े और अनाज का आयात करता है. इनके अलावा खाड़ी देशों पर निर्भरता घटाने के लिए भारत की दिलचस्पी अर्जेंटीना के शेल गैस और एलएनजी भंडार पर भी है.
अर्जेंटीना में फार्मा, हेल्थटेक और आईटी सेक्टर में भारत अपना विस्तार करना चाहता है. फोटो: Pixabay
इन क्षेत्रों में भी साझेदारी बढ़ाने की तैयारीभारत अब अर्जेंटीना को फार्मा, हेल्थटेक और आईटी जैसे क्षेत्र में अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है. वहीं, अर्जेंटीना की भारतीय लड़ाकू विमान तेजस जैसे कई रक्षा उत्पादों में रुचि है. प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान इन उत्पादों के संयुक्त रूप से प्रशिक्षण, संयुक्त उत्पादन और तकनीक हस्तांतरण पर चर्चा की भी संभावना जताई जा रही है. टेलीमेडिसिन, डिजिटल गवर्नेंस और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी ये दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अर्जेंटीना की अंतरिक्ष एजेंसी के बीच पहले भी सहयोग रहा है.
पहलगाम हमले के वक्त दिया भारत का साथभारत और अर्जेंटीना के बीच रणनीतिक साझेदारी बेहतर है. पहलगाम आतंकवादी हमले के समय अर्जेंटीना ने भारत का साथ दिया था और इस हमले की निंदा की थी. इसके साथ ही ये दोनों देश शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और ऊर्जा में सहयोग पर जोर देते हैं. यही नहीं, न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के दावे का अर्जेंटीना समर्थन करता रहा है. भारत साल 2016 में इसकी सदस्यता के लिए आवेदन कर चुका है.
दुनिया को ये सारी चीजें देता है अर्जेंटीनाअर्जेंटीना में दुनिया का दूसरे सबसे बड़े शेल गैस भंडार, जो वह कई देशों को मुहैया कराता है. इसके अलावा वहां दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अपरंपरागत तेल संसाधन है. शेल गैस भंडार मुख्य रूप से अर्जेंटीना के वाका मुएर्ता क्षेत्र में है. इसके अलावा अर्जेंटीना में कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ जैसे तांबा, चांदी और सोना भी पाए जाते हैं.
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