25 साल के बाद क्यों Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान का साथ? अब किसका लेगा सहारा
TV9 Bharatvarsh July 06, 2025 02:42 AM

25 साल पहले पाकिस्तान में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऑपरेशंस शुरू किए थे, अब वहीं से कंपनी ने अपना लगभग पूरा कामकाज समेट लिया है. सिर्फ एक ऑफिस बचा है जहां 5 कर्मचारी काम कर रहे हैं. इस कदम से पाकिस्तान की पूरी टेक इंडस्ट्री सदमे में आ गई है. यहां जानें कि आखिर कंपनी ने ये फैसला क्यों लिया और पड़ोसी मुल्क अब क्या करेगा.

कैसे शुरू हुआ था सफर?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में साल 1999 में अपने ऑपरेशन की शुरुआत की थी. इस पहल में जव्वाद रहमान नाम के व्यक्ति की अहम भूमिका रही. उन्हें माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान का फाउंडर माना जाता है. रहमान ने एक LinkedIn पोस्ट के जरिए इस बात को कंफर्म किया कि कंपनी ने पाकिस्तान में अपना काम लगभग बंद कर दिया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि “एक युग समाप्त हो गया.”

माइक्रोसॉफ्ट के अलावा ये हैं ऑप्शन

अगर माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान में अपनी सर्विसेस बंद कर देती है या पूरी तरह से वहां से ऑपरेशन समेट लेती है, तो ये पाकिस्तान की टेक इंडस्ट्री, सरकारी कामकाज, एजुकेशन सेक्टर और आईटी स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि अब पाकिस्तान क्या करेगा? पाक की आवाम के पास कौन-से ऑप्शन उपलब्ध हैं?

  • गूगल (Google Workspace): माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अलटरनेट के तौर पर पाकिस्तान Google Workspace (Gmail, Google Docs, Sheets, Slides) का इस्तेमाल बढ़ा सकता है.
  • LibreOffice और Apache OpenOffice जैसे प्लेटफॉर्म Microsoft Office का मुफ्त ऑप्शन हो सकते हैं.
  • माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की जगह Ubuntu, Fedora, या Linux Mint जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम अपनाए जा सकते हैं.
  • पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर Huawei Cloud, Alibaba Cloud, या Tencent Cloud जैसी सर्विसेस पर डिपेंड हो सकता है.
  • ये कंपनियां डेटा स्टोरेज, क्लाउड कंप्यूटिंग और AI सर्विसेस देती हैं, जो माइक्रोसॉफ्ट Azure का ऑप्शन बन सकती हैं.
माइक्रोसॉफ्ट दुनियाभर में करती है राज

माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है, जो 190 से ज्यादा देशों में एक्टिव है. ये कंपनी विंडोज, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, ऐज ब्राउजर, क्लाउड सर्विसेस, AI और साइबर सिक्योरिटी जैसे सेक्टर में ग्लोबल लीडर है. पाकिस्तान से इसका बाहर निकलना सिर्फ एक बिजनेस डिसीजन नहीं, बल्कि स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक हालात का असर माना जा रहा है.

टेक इंडस्ट्री में गूंज

पाकिस्तान की टेक इंडस्ट्री इस खबर से सदमे में है. माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनी की विदाई से न केवल रोजगार पर असर पड़ेगा बल्कि इंवेस्टर्स का भरोसा भी कमजोर होगा.

क्या अब कोई उम्मीद है?

रहमान ने अपनी पोस्ट में पाकिस्तान सरकार और आईटी मंत्री से अपील की है कि वे माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल लीडर्स से कॉन्टैक्ट करें, ताकि किसी सॉल्यूशन पर पहुंचा जा सके और कंपनी की मौजूदगी देश में बनी रहे.

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