इस फसल से 50 साल तक होगी कमाई, एकबार खेती कर ली तो हो जाएगी मौज Bamboo Farming – अभी पढ़ें ये खबर
Rahul Mishra (CEO) July 08, 2025 05:27 PM

बांस की खेती: भारत के अधिकांश किसान पारंपरिक खेती की समस्याओं से जूझते रहते हैं. कभी मौसम की मार, कभी महंगी खाद और दवाइयों का खर्च, तो कभी उचित दाम न मिलने का डर – ये सभी समस्याएं खेती को घाटे का सौदा बना देती हैं. ऐसे में अब स्मार्ट किसान बांस की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिसे अब ‘हरा सोना’ कहा जाने लगा है.

बांस की खेती क्यों है ‘आलसी खेती’?

बांस को एक बार खेत में लगाने के बाद लगातार 40 से 50 साल तक इससे कमाई होती रहती है. इस खेती को ‘आलसी खेती’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हर साल बोआई और कटाई की जरूरत नहीं होती. किसान को एक बार मेहनत करनी होती है और फिर सालों तक इसका लाभ मिलता है.

कम लागत, कम रखरखाव, ज्यादा मुनाफा

बांस की खेती में बहुत कम पानी की जरूरत होती है और इस पर किसी गंभीर बीमारी या कीट का हमला भी कम होता है. इसके चलते कीटनाशकों और दवाओं पर खर्च लगभग शून्य हो जाता है. इस खेती के लिए कोई विशेष सिंचाई की जरूरत भी नहीं होती, जिससे यह कमजोर संसाधनों वाले किसानों के लिए आदर्श विकल्प बन जाती है.

बंजर जमीन पर भी उगता है बांस

यह खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, चाहे वो उपजाऊ हो या बंजर. किसान इसे खेत की मेड़ पर भी लगा सकते हैं, जिससे मुख्य फसल में कोई बाधा नहीं आती और अतिरिक्त आय का स्रोत तैयार हो जाता है.

बांस की भारी मांग और संभावनाएं

बांस की मांग सिर्फ हैंडीक्राफ्ट और फर्नीचर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उपयोग कागज, कपड़े, फर्श सजावट, निर्माण कार्य और यहां तक कि इथेनॉल उत्पादन में भी किया जा रहा है. बाजार में इसकी स्थायी और लगातार मांग बनी हुई है, जिससे किसानों को फसल बेचने में दिक्कत नहीं होती.

सरकार की बड़ी मदद – राष्ट्रीय बांस मिशन

भारत सरकार ‘राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission)’ के तहत किसानों को इस खेती के लिए 50% तक की सब्सिडी प्रदान करती है. बांस का एक पौधा लगाने में करीब ₹240 का खर्च आता है, जिसमें से ₹120 की सब्सिडी सरकार देती है. किसान को केवल ₹120 प्रति पौधा खुद खर्च करना होता है.

एक हेक्टेयर में खर्च और कमाई का गणित

अगर किसान एक हेक्टेयर में करीब 1500 पौधे लगाते हैं, तो सरकार की मदद के बाद उनका कुल खर्च ₹1.80 लाख तक आता है. 3 से 4 साल के बाद बांस की कटाई शुरू हो जाती है. एक बांस की कीमत ₹200 से ₹500 तक मिल सकती है. यानी, एक बार की मेहनत से लाखों रुपये की कमाई सुनिश्चित होती है.

बांस लगाने का सही समय और तैयारी

बांस की खेती शुरू करने के लिए मानसून का समय (जून-जुलाई) सबसे उपयुक्त माना जाता है. किसान को अपने जिले के कृषि विभाग या वन विभाग से संपर्क करना चाहिए और राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत पूरी जानकारी लेकर ही खेती शुरू करनी चाहिए.

सही किस्म का चुनाव है जरूरी

भारत में बांस की 100 से अधिक किस्में मौजूद हैं. इसलिए किसान को अपने क्षेत्र की मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए सही किस्म का चयन करना चाहिए. इससे उत्पाद की गुणवत्ता और बिक्री दोनों में बढ़ोतरी होती है.

बांस की खेती से जुड़ी अतिरिक्त सलाह

  • बांस के पौधे अधिक घने न लगाएं, जिससे उनका विकास सही हो सके.
  • यदि फर्नीचर या इथेनॉल उद्योग से सीधा संपर्क बन जाए तो सीधे बाजार तक पहुंच संभव है.
  • बांस की खेती के साथ एग्रो टूरिज्म का भी विकास किया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलती है.

किसानों के लिए खेती का भविष्य

आज के समय में जब धान, गेहूं, सरसों जैसी फसलें किसानों को संतोषजनक मुनाफा नहीं दिला पा रही हैं, तब बांस की खेती किसानों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता का रास्ता खोल सकती है. यह खेती सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि लंबी अवधि की योजना है, जो किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है.

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