9 July Bharat Bandh: देश की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 9 जुलाई 2025, बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है. यह बंद केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध के रूप में आयोजित किया जा रहा है.
इस भारत बंद का सीधा असर बिहार जैसे चुनावी राज्यों में देखने को मिल सकता है. यहां राजनीतिक माहौल पहले से ही संवेदनशील है, और बंद के माध्यम से सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश हो सकती है. इसके अलावा गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी बंद का व्यापक असर दिख सकता है.
बैंकिंग और बीमा सेक्टर हो सकते हैं ठप
जानकारी के मुताबिक, बैंकिंग, बीमा, डाक सेवा, कोयला खनन और बिजली उत्पादन से जुड़े 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में भाग ले सकते हैं. यदि ये कर्मचारी बंद में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं, तो बैंकिंग और अन्य जरूरी सेवाएं ठप हो सकती हैं.
स्कूल और कॉलेजों के बंद रहने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसलिए अधिकतर राज्यों में शैक्षणिक संस्थान खुले रहने की संभावना है. हालांकि, जिन इलाकों में बंद का ज्यादा असर होगा, वहां स्थानीय प्रशासन सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल बंद रखने का फैसला ले सकता है.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट, जैसे कि सरकारी बसें, टैक्सियां, और ऐप आधारित कैब सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. इससे दैनिक यात्रियों और ऑफिस जाने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है. हालांकि रेलवे यूनियनों ने भारत बंद में हिस्सा नहीं लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी अक्सर रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को निशाना बनाते रहे हैं, जिससे ट्रेनों के संचालन पर भी अस्थायी प्रभाव पड़ सकता है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने साफ किया है कि इस भारत बंद का मकसद केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में एकजुट आवाज उठाना है. उनका आरोप है कि सरकार की नीतियां:
केंद्र सरकार की कृषि नीतियों के खिलाफ पहले भी आंदोलन कर चुके किसान संगठन अब भारत बंद में भी शामिल हो सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि किसान यूनियनें भी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगी, जिससे बंद का असर ग्रामीण और कृषि प्रधान राज्यों में अधिक व्यापक हो सकता है.
रेलवे सेवाएं: यूनियन भाग नहीं ले रही, लेकिन प्रदर्शन की वजह से अस्थायी प्रभाव संभव
कई राज्यों की सरकारें और स्थानीय प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अलर्ट मोड पर हैं. पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती, संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू करना, और आपात सेवाओं को सुरक्षित रखना, जैसे उपायों पर ध्यान दिया जा रहा है.