प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शूजीत सरकार ने गुरु दत्त की दृश्यात्मक कहानी कहने की कला और भावनात्मक गहराई पर अपने विचार साझा किए हैं, यह बताते हुए कि आज के सिनेमा में उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है।
शूजीत ने कहा कि गुरु दत्त की सिनेमा को समझने में उन्हें समय लगा, लेकिन उनकी छवियों और प्रकाश-छाया के खेल ने उन पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने गुरु दत्त के व्यक्तिगत जीवन और संघर्षों को जानने के बाद उनकी फिल्मों, जैसे Pyaasa और Kagaz Ke Phool, को और भी गहराई से महसूस किया।
उन्होंने गुरु दत्त की तुलना यूरोपीय फिल्म निर्माता ट्रुफ़ोट से की, यह बताते हुए कि दोनों ने अपने-अपने समय में सिनेमा को एक नई दिशा दी। गुरु दत्त ने हिंदी सिनेमा में महिलाओं की स्थिति पर गहन विचार किया, जो उनके काम में एक दर्दनाक गूंज के रूप में प्रकट होता है।
शूजीत ने बताया कि कई भारतीय फिल्म निर्माताओं ने गुरु दत्त की जिंदगी पर फिल्म बनाने की इच्छा जताई है, लेकिन उन्होंने खुद इस पर विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई उनके जीवन पर फिल्म बनाता है, तो यह एक अद्भुत कार्य होगा।
गुरु दत्त की विशेषता उनके रचनात्मक संघर्ष में निहित है, जहां उन्होंने अपनी बात कहने की कोशिश की, जबकि व्यावसायिक सफलता का दबाव भी था। शूजीत ने गुरु दत्त और रित्विक घटक के बीच समानताएं भी देखी हैं, यह बताते हुए कि दोनों ने अपने व्यक्तिगत प्रेम और दर्द को अपनी फिल्मों में गहराई से दर्शाया।