राजस्थान अपने समृद्ध इतिहास और कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहां पर मंदिर, किले और महल पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. राजस्थान की राजधानी जयपुर इसे “गुलाबी शहर” के नाम से भी जाना जाता है. यहां हवा महल के अलावा बहुत ही जगहें घूमने के लिए हैं. वहीं लोग दूर-दूर से उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और माउंट आबू जैसे जगहों पर घूमने के लिए पहुंचते हैं. लेकिन इसके साथ ही यहां के कपड़े भी बहुत प्रसिद्ध हैं.
राजस्थान के कपड़े अपने यूनिक डिजाइन, पारंपरिक कढ़ाई और प्रिंट के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. यहां का बांधनी प्रिंट या टाई-डाई को लोग बहुत पसंद करते हैं. इसमें छोटे-छोटे बिंदुओं को बांधकर उन्हें रंगा जाता है. जो इसे खास बनाता है. इसे सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे देश में पसंद किया जाता है. इसमें लहंगा और साड़ी के अलावा सूट, शर्ट और कुर्ती बहुत कुछ आता है. लेकिन बांधनी प्रिंट के अलावा भी यहां के कई प्रिंट बहुत प्रसिद्ध हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में
लहरिया प्रिंटलहरिया राजस्थान की एक प्रसिद्ध पारंपरिक कला है. इस बनाने के लिए कपड़े के बांकर, फिर उसे अलग-अलग रंगों में रेगा जाता है और लहरों जैसी धारियां बनाई जाती हैं. इसमें भी कई प्रकार होते हैं जैसे कि पंछी लहरिया, मोथरा लहरिया और साधारण लहरिया. इस प्रिंट में पगड़ियां, लहंगे, साड़ी, सूट और दुपट्टे बनाए जाते हैं. तिरछी धारियों वाला यह प्रिंट काफी लोकप्रिय है.
राजस्थान के बगरू गांव की पारंपरिक हाथ से ब्लॉग प्रिंटिंग तकनीक द्वारा बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए नेचुरल रंगों का उपयोग किया जाता है. यह रंग पौधों और दूसरे नेचुरल सोर्स द्वारा किए जाते हैं. इसमें बनाने के लिए दबू नाम तकनीक का उपयोग किया जाता है. जिसमें कपड़े पर पैटर्न बनाने के लिए गोंद, मिट्टी या बाजरे के भूसे का उपयोग किया जाता है. इस प्रिंट में भूरे, बेज, क्रीम, काले और लाल रंग का उपयोग ज्यादा किया जाता है.
दाबू प्रिंटदाबू प्रिंट को डब्बू प्रिंट के नाम से भी जाना जाता है. यह राजस्थान की पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक है. इसे हाथ से से बनाया जाता है. इसमें मिट्टी के पेस्ट को बटरें यानी की पेस्ट लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग कर कपड़ों पर लगाया जाता है. डिजाइन पर मिट्टी का लेप लगाया जाता है, फिर रंगों से रंगा जाता है. इस प्रिंट में नीले रंग के कपड़े ज्यादा मिलते हैं.
सांगानेरी प्रिंट राजस्थान के जयपुर जिले के सांगानेर कस्बे के नाम से जाना जाता है. यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक बहुत पुरानी बताई जाती है. लेकिन अभी भी इसे बहुत पसंद किया जाता है. ज्यादातर इसे बनाने के लिए सफेद या हल्के रंग की फैब्रिक का उपयोग किया जाता है और उसपर बारीक डिजाइन डाला जाता है. फूल-पत्तियों और कली का डिजाइन इसमें ज्यादा पाया जाता है. प्रिंट्स साड़ियों, बेडशीट्स और कुर्तियों इस प्रिंट में आती हैं.
कोटा डोरिया प्रिंट राजस्थान के कोटा जिले के नाम से प्रसिद्ध है. यह अपने हल्की बनाकर के लिए जाना जाता है. इसलिए यह गर्मियों में बहुत कंफर्टेबल होता है. इसके अलावा इसकी पहचान चोरोक पैटर्न से होती है, जो इसे एक यूनिक रूप देता है. यह कपड़े रेशम या कपास के धागों से बनाया जाता है. इसे हाथ से बनाया जाता है.