अहमदाबाद, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को ‘सहकार संवाद’ कार्यक्रम के दौरान अपनी सेवानिवृत्ति के बाद की योजनाओं पर बात की। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने के बाद वे प्राकृतिक खेती करेंगे और वेदों, उपनिषदों सहित हिंदू धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन करेंगे।
अहमदाबाद में आयोजित इस कार्यक्रम में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं और अन्य कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक पद्धति है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि उत्पादन भी बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि वे भी अपने खेतों में इसका प्रयोग करते हैं। इससे उन्हें डेढ़ गुना अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ हैा।
शाह ने रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए कहा कि केमिकलयुक्त अनाज से बीपी, डायबिटीज और थायरॉइड जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। वहीं, प्राकृतिक खेती से शरीर रोगमुक्त होता है और दवाइयों की जरूरत भी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि केचुए प्राकृतिक खाद का काम करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और जल संरक्षण भी होता है।
कार्यक्रम में उन्होंने ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर चल रहे शोध और इसके व्यवसायिक उपयोग को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों की संभावित योजनाओं की जानकारी भी दी। साथ ही, उन्होंने त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना और सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।
शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय गरीबों, किसानों और पशुपालकों के हित में कार्य कर रहा है। उन्होंने डेयरी क्षेत्र में गोबर से गैस और खाद उत्पादन जैसे प्रयोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि आने वाले समय में गांवों की अर्थव्यवस्था को इससे मजबूती मिलेगी।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे मक्का और दलहन की बिक्री के लिए एनसीसीएफ ऐप पर पंजीकरण करें, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित हो सके।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार