हरिद्वार, 10 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रावण मास शुक्रवार से शुरू हो रहा है, जिसमें भगवान शिव की भक्ति, आराधना और उपासना की परंपरा कनखल नगरी में विशेष रूप से देखने को मिलेगी। हरिद्वार के समीप बसी प्राचीन कनखल नगरी को भगवान शिव की ससुराल कहा जाता है, जो माता सती का जन्मस्थल और राजा दक्ष की राजधानी थी। यहां भगवान शिव दक्षेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाते हैं।
मान्यता है कि राजा दक्ष का शिव के गण वीरभ्रद द्वारा वध किए जाने पर उन्हें बकरे का सिर लगाकर भगवान शिव ने जीवन दान दिया था। जीवन दान पाने के बाद राजा दक्ष ने भगवान शिव की स्तुति की। अपने ससुर राजा दक्ष की स्तुति से प्रसन्न होकर उन्होंने राजा दक्ष को वरदान दिया था कि इस स्थान पर मैं दक्षेश्वर के नाम से पूजा जाऊंगा। पूजा मेरी होगी और नाम राजा दक्ष का चलेगा। इसके साथ ही श्रावण मास पर्यन्त कनखल नगरी में निवास करने का भी उन्होंने राजा दक्ष को वरदान दिया था। शुक्रवार से श्रावण मास का आरम्भ होने जा रहा है। श्रावण मास आरम्भ होने के साथ भगवान शिव एक मास तक अपनी ससुराल कनखल नगरी में निवास करते हुए सृष्टि का संचालन करेंगे। कारण की चातुर्मास आरम्भ होने के साथ ही भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले गए हैं। जिसके कारण सृष्टि की सत्ता को संचालन भगवान शिव के हाथों आ गया है। देवोत्थान एकादशी के साथ ही पुनः सृष्टि की सत्ता का हस्तांतरण होगा।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला