सावन का महीना आते ही, बारिश की हर बूंद दिल को छू जाती है। जैसे ही यह महीना शुरू होता है, प्रकृति एक नई धुन में गुनगुनाने लगती है। हरियाली, झूलों की मस्ती और भोलेनाथ की भक्ति का रंग चारों ओर बिखर जाता है। इस माहौल को और भी खास बनाते हैं भोजपुरी के लोकगीत, जो पीढ़ियों से हमारे दिलों में बसे हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में सावन के ये गीत हर दिल को छू जाते हैं। आइए, इस सावन के मौसम में हम आपको उन 5 भोजपुरी लोकगीतों की दुनिया में ले चलते हैं, जो इस महीने की रौनक को दोगुना कर देते हैं।
आयो सावन को महीना सखी डालो री झूला
आयो सावन का महीना, सखी डालो झूला। सावन की बहार देखो, राधा प्यारी। बादल गरजते हैं, बिजली चमकती है, और नन्हीं फुहारें आती हैं। ये गीत प्रेम, विरह और प्रकृति का अनोखा संगम प्रस्तुत करते हैं।
इस सावन, हम आपके लिए 5 ऐसे भोजपुरी लोकगीत लाए हैं, जो हर बारिश के साथ और भी रंगीन हो जाते हैं। इनमें से कुछ गीत प्रेम की मिठास लिए हैं, तो कुछ भक्ति की गहराई। इन गीतों के बोल इतने सरल और मधुर हैं कि ये सीधे दिल में उतर जाते हैं।
भोजपुरी लोकगीतों का जादू उनकी सादगी और गहराई में छिपा है। ये गीत सिर्फ मनोरंजन नहीं करते, बल्कि हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। सावन के गीतों में बारिश की ठंडक, प्रेम की गर्मी, और भक्ति का सुकून एक साथ मिलता है।