बिहार चुनाव से पहले क्या वोटर लिस्ट से हट जाएंगे इन वोटरों के नाम? जानें कैसे काटे जाते हैं लोगों के नाम
Samachar Nama Hindi July 11, 2025 06:42 PM

बिहार में मतदाता सूची की जाँच को लेकर काफ़ी हंगामा मचा हुआ है। आज इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसे चुनाव आयोग के ऐसे किसी भी कदम से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन समस्या इसके समय को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण करने के चुनाव आयोग के कदम में तर्क तो है, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाली इस प्रक्रिया के समय को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा है कि आपकी प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, लेकिन समस्या समय की है। क्योंकि जिन लोगों का नाम सूची से हटाया जा सकता है, उनके पास अपील करने का समय नहीं होगा। अब आइए यह भी जान लेते हैं कि चुनाव आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण में क्या देखता है और लोगों के नाम कैसे काटे जाते हैं।

मतदाता सूची पुनरीक्षण में क्या है चुनाव आयोग

चुनाव आयोग का काम मतदान कराने के साथ-साथ मतदाता सूची को अपडेट करना भी है। अगर किसी की मृत्यु हो गई है या किसी ने क्षेत्र बदल लिया है, तो उसका नाम सूची से हटा दिया जाता है। अगर किसी की उम्र 18 साल हो गई है, तो उसका नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया जाता है। चुनाव आयोग हर साल चुनाव से पहले एक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण करता है। हालाँकि, इस दौरान जिन लोगों के नाम पहले से मतदाता सूची में हैं, उन्हें कोई भी कागज़ दिखाने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन इस बार बिहार में एक विशेष गहन पुनरीक्षण का फैसला लिया गया है, जो 22 साल पहले 2003 में हुआ था।

पुनरीक्षण में नहीं दिखाए जाएँगे दस्तावेज़

संविधान के अनुच्छेद 326 में मतदाताओं की पात्रता का उल्लेख है। इस पुनरीक्षण में सभी पात्र लोगों को शामिल किया जाएगा। आयोग 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड करेगा। 1 जनवरी 2003 तक मतदाता सूची में शामिल कोई भी व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्रथम दृष्टया पात्र माना जाएगा। इन लोगों को कोई भी कागज़ जमा करने या दिखाने की ज़रूरत नहीं है। इस सूची में शामिल लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची के संपूर्ण पुनरीक्षण हेतु गणना प्रपत्र के साथ संलग्न किए जाने वाले संबंधित भाग को निकालने में सुविधा होगी।

मतदाता सूची से नाम क्यों कटेगा?

जब मतदान सूची का पुनरीक्षण होगा, तो ज़ाहिर है कि जो लोग फ़र्ज़ी मतदाता हैं, उनके नाम सूची से हटा दिए जाएँगे। इस सूची में गलत तरीके से नाम जोड़ने वालों की पहचान की जाएगी और सभी फ़र्ज़ी मतदाताओं के नाम हटा दिए जाएँगे। यह संख्या हज़ारों में हो सकती है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि 1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक फ़ैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि जिस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल है, उसका नाम नहीं हटाया जा सकता। ऐसे में लोगों का कहना है कि यह सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का उल्लंघन है।

मतदाता सूची से नाम कैसे कटते हैं

मतदाताओं के नाम मतदान सूची से हटाए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होगा। निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा मतदाताओं के नामों की एक मसौदा अधिसूचना जारी की जाती है। ड्राफ्ट जारी होने के बाद, संबंधित क्षेत्र का मतदाता आपत्ति दर्ज कराकर किसी भी नाम को मतदाता सूची से हटाने के लिए आवेदन कर सकता है। यह सूची सभी राजनीतिक दलों को भेजी जाती है। इसमें फॉर्म-7 की अहम भूमिका होती है। अगर कोई निर्वाचक निबंधन अधिकारी यह बताना चाहता है कि किसी कारणवश किसी मतदाता का नाम उस क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, तो उसे पहले फॉर्म-7 के माध्यम से आपत्ति दर्ज करानी होती है। जिस व्यक्ति का नाम हटाया जा रहा है, उसे सबसे पहले एक नोटिस भेजा जाता है। नोटिस का जवाब न मिलने पर उसका नाम सूची से हटा दिया जाता है।

बिहार में फर्जी मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने का क्या है रास्ता?

बिहार में होने जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण में, जो भी फर्जी मतदाता कोई भी दस्तावेज़ दिखाकर अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाएँगे, उनके नाम हटा दिए जाएँगे और यह मान लिया जाएगा कि वे फर्जी मतदाता थे। यह संख्या हज़ारों में हो सकती है। ऐसे में रास्ता यह है कि कई असली मतदाताओं के नाम भी हटाए जाने की आशंका है।

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