बिहार में दलित मतदाता लगभग 19-19.65% हैं, जो राज्य की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। इनमें कई महादलित जातियाँ जैसे मुसहर और भुइयां शामिल हैं।
चिराग पासवान, जो रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं, पासवान जाति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। लोजपा ने पिछले चुनावों में लगभग 6% वोट हासिल किए, जो मांझी की पार्टी की तुलना में छह गुना अधिक है। चिराग SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर कोटे का विरोध करते हैं और मानते हैं कि समृद्ध दलितों को आरक्षण छोड़ देना चाहिए ताकि असली जरूरतमंदों को लाभ मिल सके।
मांझी महादलित वर्ग, विशेषकर मुसहर जाति में प्रभाव रखते हैं और पहले बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण निर्णय का समर्थन करते हैं और मानते हैं कि कोटा विभाजन दलित समुदाय के हित में है। हालांकि, मांझी की राजनीतिक ताकत सीमित है, लेकिन वे गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
चिराग और मांझी दोनों SC-ST आरक्षण के फैसले पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं, जिससे उनके बीच जुबानी टकराव बढ़ गया है। यह विभाजन चुनावी रणनीति और वोट बैंक के विभाजन को प्रभावित कर सकता है।
चिराग पासवान को पासवान वोट बैंक में सबसे अधिक लोकप्रिय माना जाता है, जबकि मांझी महादलित वोटरों, विशेषकर मुसहर समुदाय में अपनत्व रखते हैं। बिहार की 19-20% दलित आबादी में इन दोनों के अलावा अन्य जातीय नेताओं की भी छवि महत्वपूर्ण है।