अगर आप इस शुक्रवार को 'Udaipur Files' देखने का मन बना रहे थे, तो आपको निराशा हो सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से मिला सर्टिफिकेट विवादित है और यह मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने स्पष्ट किया कि Cinematograph Act की धारा 6 के तहत सरकार को किसी फिल्म की रिलीज रोकने का अधिकार है। जब तक सरकार कोई निर्णय नहीं लेती, तब तक 'Udaipur Files' की स्क्रीनिंग पर रोक जारी रहेगी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए हैं, फिल्म की स्क्रीनिंग देखेंगे और अपनी राय कोर्ट के सामने रखेंगे। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि फिल्म धार्मिक भावनाएं भड़काने और नफरत फैलाने का काम कर सकती है।
'Udaipur Files' वास्तव में उदयपुर में हुए कन्हैयालाल मर्डर केस पर आधारित है। फिल्म का ट्रेलर 26 जून को जारी किया गया था, जिसके बाद मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म पर रोक लगाने की मांग की थी।
फिल्म में कुछ दृश्य एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। यह फिल्म धार्मिक कट्टरता और समाज में नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाती है। संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ ऐसी फिल्में बनाना उचित नहीं है।
सेंसर बोर्ड ने कोर्ट में कहा कि विवादित दृश्य हटा दिए गए हैं। लेकिन सिब्बल ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, "क्या केवल ट्रेलर से हटाए गए हैं या पूरी फिल्म से?" इसी संदेह के चलते कोर्ट ने निर्णय लिया कि कपिल सिब्बल को फिल्म दिखाई जाए और उसके बाद कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह 7 दिन में जवाब दे कि फिल्म को रिलीज किया जा सकता है या नहीं। तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक बनी रहेगी।