हाल के दिनों में ऐसी अटकलें थीं कि सरकार संविधान की प्रस्तावना में कुछ बदलाव कर सकती है, जिससे 'धर्मनिरपेक्षता' जैसे शब्दों को हटाया जा सकता है। इसने विपक्ष और कई नागरिक समाज संगठनों में चिंता पैदा कर दी थी। अब केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि संविधान की मूल संरचना में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द अपनी जगह पर बना रहेगा। इस आश्वासन ने उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है जो इस मुद्दे पर उभरी थीं। मायावती का इस निर्णय का स्वागत करना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा राजनीतिक हलकों में कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। यह कदम देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।