मुझे सुअर, यौन कुंठित कहा... इस्तीफे के बाद कल्याण बनर्जी का छलका दर्द; महुआ मोइत्रा पर साधा निशाना
Newshimachali Hindi August 05, 2025 05:42 PM

महुआ मोइत्रा से जुबानी जंग के बीच टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने सोमवार को पार्टी लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर महुआ के खिलाफ जमकर निशाना साधा।

पोस्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक मंच पर मोइत्रा ने उनके लिए सुअर और यौन कुंठित शब्द का इस्तेमाल किया।

सोमवार को पार्टी चीफ और पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी संग वर्चुअल मीटिंग के बाद कल्याण बनर्जी ने इस्तीफे की घोषणा की। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट शेयर किया। कल्याण बनर्जी ने लिखा, 'मैंने महुआ मोइत्रा द्वारा एक सार्वजनिक पॉडकास्ट में दिए गए व्यक्तिगत बयानों को ध्यान से सुना है। किसी साथी सांसद की तुलना "सुअर" से करना जैसे शब्दों का इस्तेमाल न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सार्वजनिक बातचीत की बुनियादी मर्यादाओं की भी अनदेखी है।'

जनप्रतिनिधि के मुंह से घटिया भाषा

उन्होंने आगे कहा, 'जो लोग सोचते हैं कि गालियों से मुद्दों को दबाया जा सकता है, उन्हें अपनी राजनीति पर गंभीरता से सोचना चाहिए - क्योंकि इससे उनकी सोच और कामकाज की खोखलाहट सामने आती है। जब कोई जनप्रतिनिधि इस तरह की घटिया भाषा और इशारों पर उतर आए, तो यह ताकत नहीं बल्कि उनकी असुरक्षा को दर्शाता है।'

आलोचना करना महिला विरोधी नहीं

कल्याण बनर्जी ने आगे कहा, 'मैं साफ़ कर दूं: मैंने जो भी कहा, वो सार्वजनिक जवाबदेही और निजी आचरण से जुड़े सवाल थे - और हर सार्वजनिक व्यक्ति, चाहे वो पुरुष हो या महिला, इन सवालों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर ये बातें किसी को असहज लगती हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि सही आलोचना को "महिला विरोध" कहकर बचा जाए।'

यौन कुंठित कहना सीधी गाली

बनर्जी ने आगे कहा, 'किसी पुरुष सहयोगी को 'यौन कुंठित' कहना साहस नहीं, बल्कि सीधी गाली है। अगर यही बात किसी महिला के लिए कही जाती, तो देशभर में आक्रोश होता - और वो बिलकुल जायज होता। लेकिन जब पुरुष को निशाना बनाया जाता है, तो लोग इसे नज़रअंदाज कर देते हैं या ताली बजाते हैं। हमें साफ़ समझना होगा - गाली, गाली होती है - चाहे वो किसी के लिए भी हो। इस तरह के शब्द सिर्फ़ अशोभनीय नहीं हैं, बल्कि ये दोहरे मापदंड भी दिखाते हैं जहां पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि वो चुपचाप सहें।'

चेतावनी

उन्होंने कहा कि अगर महुआ मोइत्रा सोचती हैं कि इस तरह की गाली-गलौज से वो अपने असफल कामकाज को छुपा लेंगी या गंभीर सवालों से ध्यान भटका लेंगी, तो वो भ्रम में हैं। जो लोग जवाब देने की बजाय अपशब्दों का सहारा लेते हैं, वो लोकतंत्र के रक्षक नहीं बल्कि उसकी बदनामी हैं - और देश की जनता इस नाटक को अच्छी तरह समझती है।

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