ये सिर्फ घोटाला नहीं, जनता के साथ धोखा है, वोट चोरी पर बोले राहुल गांधी, वक्त बदलेगा, सजा मिलेगी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर देश की चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वे लगातार कहते रहे हैं कि चुनावों में गड़बड़ियां हो रही हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कथित वोट चोरी के सबूत पेश करते हुए इसे एक संगठित साज़िश और “Institutionalise चोरी” बताया। बिहार के SIR (Special Revision of Electoral Roll) को लेकर उन्होंने सीधा आरोप लगाया—"समय बदलेगा, और जिम्मेदारों को सज़ा मिलेगी।" राहुल गांधी ने अपनी बात शुरू करते हुए अपने शुरुआती दिनों की यादें साझा कीं। "मैं राजनीतिक माहौल में पला-बढ़ा। 1980 में, जब मैं छोटा था, प्रियंका और मैं घर में लई तैयार कर रात को पोस्टर चिपकाने निकलते थे। पिछले 20 सालों से मैं चुनावी राजनीति में हूं—पोलिंग बूथ का प्रबंधन, वोटर लिस्ट की बारीकियां, सब मेरी पकड़ में हैं।" उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले उन्हें महसूस हुआ कि चुनाव नतीजे और जमीनी माहौल में बड़ा अंतर है—"मूड एक दिशा में होता था, लेकिन नतीजे बिल्कुल उल्टे आते थे।"
“यह संभव ही नहीं था” — संदिग्ध नतीजों पर सवाल
राहुल गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तराखंड के एक चुनाव में उनकी पार्टी हार गई, लेकिन जब उन्होंने उम्मीदवार से रोड शो वाले इलाकों का डेटा मंगवाया, तो पता चला कि हजारों लोगों की मौजूदगी के बावजूद पोलिंग बूथ पर उन्हें लगभग कोई वोट नहीं मिला। उन्होंने आगे बताया कि 2018 में मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी ने जीत दर्ज की, लेकिन सरकार “छीन ली गई”। वहीं 2023 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने भारी सत्ता विरोधी माहौल देखा, फिर भी पार्टी को केवल 65 सीटें मिलीं—"ऐसा नतीजा आना नामुमकिन था।"
महाराष्ट्र से मिले पक्के सबूत
राहुल गांधी के मुताबिक, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पहली बार उन्हें ठोस प्रमाण हाथ लगे। "विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच अचानक वोटर लिस्ट में नए नाम जुड़ते हैं और ये सभी वोटर्स हमेशा बीजेपी को वोट देते हैं।" उन्होंने कहा कि जब उन्होंने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट और पोलिंग बूथ की वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी, तो आयोग ने इनकार कर दिया। इसने शक को और मजबूत कर दिया कि आयोग खुद इस खेल में शामिल है। राहुल गांधी ने बताया कि इसके बाद उन्होंने एक विशेष टीम बनाई, जिसे हर निर्वाचन क्षेत्र में जाकर जांच करने का काम सौंपा गया। "सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि चुनाव आयोग कभी डिजिटल वोटर लिस्ट नहीं देता, सिर्फ लाखों पन्नों में छपी हुई सूची देता है। अगर डिजिटल डेटा मिल जाए, तो पूरा सच देश के सामने आ जाएगा।" उन्होंने बताया कि सिर्फ एक सीट की जांच में ही छह महीने लग गए, जबकि डिजिटल लिस्ट होती तो यह काम पूरे देश में 15 मिनट में हो जाता।
पांच तरीके की गड़बड़ी सामने आई
जांच के दौरान उनकी टीम ने पांच बड़े पैमाने पर हो रही अनियमितताओं का पता लगाया—
डुप्लिकेट वोटर – 11,965
फर्जी पते वाले वोटर – 40,009
एक ही पते पर कई वोटर – 10,452
अमान्य फोटो वाले वोटर – 4,132
फॉर्म-6 का गलत उपयोग – 33,692
“चुनाव आयोग और बीजेपी की मिलीभगत”
राहुल गांधी का दावा है कि जिस सीट पर जांच की गई, वहां 6,59,826 मतदाताओं में से लगभग 1 लाख वोट फर्जी पाए गए। "सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग और बीजेपी मिलकर चुनावी चोरी कर रहे हैं, और हमारे पास इसका ठोस सबूत है।" उनका कहना है कि SIR का असली मकसद गरीब और वंचित वर्ग के मताधिकार को छीनना है।
अंतिम चेतावनी
राहुल गांधी ने सख्त लहजे में कहा— "आप जो कर रहे हैं, वह न सिर्फ गलत है बल्कि देश के खिलाफ है। याद रखिए, समय बदलेगा और हम आपको कानून के कटघरे में खड़ा करेंगे।"