यदि वार्ता सफल होती तो भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगता
US-Russia Dispute: हाल ही में अमेरिका और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता हुई, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन ने अलास्का में मुलाकात की। हालांकि, यह वार्ता सफल नहीं हो पाई।
इस विफलता का भारत पर गहरा असर पड़ा है। भारत को उम्मीद थी कि वार्ता सफल होने पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ से राहत मिलेगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भारत को 28 अगस्त से 50 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
भारत इस समय रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में फंसा हुआ है। भारत को उम्मीद थी कि ट्रंप और पुतिन के बीच कोई समझौता होने पर उसे कुछ राहत मिलेगी। हाल ही में ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसका कारण रूस से तेल खरीद को बताया गया है।
ट्रंप का कहना है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां इस तेल को प्रोसेस करके यूरोप और अन्य देशों में बेचती हैं। भारत को इस बात की चिंता नहीं है कि रूस के हमले से यूक्रेन में कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं।
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि ट्रंप के लिए यह बैठक राजनीतिक रूप से नकारात्मक साबित होती है, तो भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह टैक्स केवल रूस पर दबाव बनाने के लिए नहीं है, बल्कि भारत पर भी दबाव बनाने के लिए है।
भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौता नहीं किया है और ट्रंप के उस दावे को भी गलत बताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया था।
रूस भारत को अन्य देशों की तुलना में सस्ता तेल प्रदान कर रहा है। हालांकि, जो डिस्काउंट पहले 30 डॉलर प्रति बैरल था, वह अब 3-6 डॉलर प्रति बैरल तक रह गया है। भारत की प्राइवेट कंपनियों के रूस के साथ लंबे समय के अनुबंध हैं।
उदाहरण के लिए, रिलायंस ने दिसंबर 2024 तक रूस से हर दिन 5 लाख बैरल तेल खरीदने का अनुबंध किया है। ऐसे अनुबंधों को अचानक समाप्त करना संभव नहीं है।