वृंदावन के सात ठाकुर कौन हैं और कहां-कहां विराजमान हैं? इन सात ठाकुरों में बसी है वृंदावन की आत्मा
TV9 Bharatvarsh August 17, 2025 06:42 PM

वृंदावन को ठाकुरों का धाम कहा जाता है. यहां विराजमान सात प्रमुख ठाकुर सिर्फ मूर्तियां नहीं, बल्कि जीवंत विग्रह माने जाते हैं. इन ठाकुरों के दर्शन को पूर्ण तीर्थ यात्रा का प्रतीक कहा गया है. बांके बिहारी से लेकर राधा रमन तक, हर ठाकुर का प्राकट्य अपनी अलग कथा और महिमा से जुड़ा है. यही कारण है कि वृंदावन की गलियों में भक्ति का सिर्फ मंदिरों की घंटियों से नहीं, बल्कि ठाकुरों की उपस्थिति से भी जुड़ी है.

वृंदावन का नाम लेते ही आंखों के सामने राधा-कृष्ण की लीलाएं, यमुना किनारे की रासभूमि और भक्ति में डूबे मंदिरों की झलक उभर आती है लेकिन इस पवित्र धाम को और भी विशेष बनाते हैं यहां विराजमान ठाकुर. वे विग्रह जिनकी पूजा सिर्फ मूर्ति नहीं, बल्कि स्वयं साक्षात भगवान के रूप में होती है. वृंदावन में ठाकुर शब्द का अर्थ है श्रीकृष्ण के वे स्वरूप जो भक्तों को दर्शन और साक्षात्कार कराते हैं. इन सात ठाकुरों को वृंदावन की आत्मा कहा जाता है.

वृंदावन के सात मुख्य ठाकुर

धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं में वृंदावन के सात प्रमुख ठाकुर बताए गए हैं. यह वे विग्रह हैं जिन्हें स्वयं महापुरुषों ने प्रकट किया और जिनकी भक्ति ने वृंदावन को वैश्विक पहचान दिलाई. ये सात ठाकुर इस प्रकार हैं.

  • श्री मदनमोहन जी वृंदावन के सबसे प्राचीन ठाकुर. इन्हें भक्ति मार्ग की आधारशिला माना जाता है.
  • श्री गोविंद देव जी भक्त रुचि से मानते हैं कि गोविंद देव जी का विग्रह स्वयं रूप गोस्वामी ने प्रकट किया था.
  • श्री गोपीनाथ जी यह ठाकुर रस और माधुर्य के प्रतीक माने जाते हैं.
  • श्री राधा दामोदर जी जीव गोस्वामी ने स्थापित किए, इनके दर्शन से भक्त को श्री राधा-कृष्ण की अनन्य भक्ति का अनुभव होता है.
  • श्री राधा श्यामसुंदर जी श्यामसुंदर जी का स्वरूप राधारानी को अत्यंत प्रिय माना गया है.
  • श्री राधा रमन जी इनका प्राकट्य स्वयं शलिग्राम शिला से हुआ. बिना किसी मूर्तिकार के बने राधा रामन जी अद्भुत चमत्कार हैं.
  • श्री राधा गोपनाथ जी गोपनाथ जी की लीला वृंदावन की रासभूमि से जुड़ी है.
  • अब कहां-कहां हैं ये ठाकुर?

    मुगल काल के दौरान जब औरंगजेब ने मंदिरों पर हमले किए तो भक्तों ने इन विग्रहों को सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान और अन्य स्थानों में पहुंचा दिया. यही कारण है कि आज वृंदावन के ठाकुर न केवल वृंदावन में बल्कि पूरे भारत में पूजे जाते हैं.

    मदनमोहन जी आज भी वृंदावन में अपनी मूल जगह पर भक्तों को दर्शन देते हैं.

    गोविंद देव जी को जयपुर ले जाया गया और आज वहां सिटी पैलेस के पास भव्य मंदिर में विराजमान हैं.

    गोपीनाथ जी भी जयपुर में प्रतिष्ठित हैं.

    राधा दामोदर जी वृंदावन के सेवाकुंज में ही दर्शन देते हैं.

    राधा श्यामसुंदर जी वृंदावन में ही स्थित हैं और राधारानी के प्रिय माने जाते हैं.

    राधा रमन जी का मंदिर वृंदावन में है और यहां आज भी शलिग्राम शिला के स्वरूप में ठाकुर जी की पूजा होती है.

    राधा गोपनाथ जी को भी भक्तों ने जयपुर पहुंचाया और आज वहां भव्य रूप में स्थापित हैं.

    क्यों हैं ये ठाकुर विशेष?

    भक्ति परंपरा मानती है कि ये ठाकुर केवल पूजा की प्रतिमाएं नहीं बल्कि जीवंत रूप हैं. भक्त कहते हैं कि इन विग्रहों से संवाद किया जा सकता है, ये मनोकामना पूरी करते हैं और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं. वृंदावन आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए इन सात ठाकुरों का दर्शन करना पूर्ण तीर्थयात्रा का प्रतीक माना जाता है.

    Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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