अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं. तभी से उन्होंने टैरिफ लगाने जैसे कुछ ऐसे फैसले लिए, जिनकी जद में खुद अमेरिका आता दिखाई दे रहा है. टैरिफ के पैसे से यूएस का खजाना तो भर रहा है. लेकिन, साथ ही देश पर कर्ज इतना है कि दूसरे देशों से वसूला गया पैसा उसे भरने के लिए कम है. वहीं, ट्रंप सत्ता में आने से पहले जो मेक ग्रेट अमेरिका अगेन का नारा दे रहे थे. वह भी ऐसे पूरा होता नहीं दिख रहा है. देश के बजट का काफी हिस्सा ब्याज देने में ही खर्च हो जा रहा है.
अमेरिका पर कुल कर्ज बढ़कर 37 ट्रिलियन डॉलर के पार चला गया है. मौजादा वित्त वर्ष में अमेरिका का कर्ज चुकाने के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़े हैं. अमेरिकी सरकार का कर्ज के ब्याज का भुगतान करना देश का दूसरा सबसे बड़ा खर्च बन गया है.
हेल्थकेयर और डिफेंस से ज्यादा ब्याज पर खर्चअमेरिका अपने डिफेंस खर्च और हेल्थकेयर खर्च के लिए जाना जाता रहा है. लेकिन, अब इस समय अमेरिकी सरकार के ब्याज का खर्च डिफेंस सेक्टर और हेल्थकेयर से ज्यादा हो गया है. अमेरिकी सरकार हर साल करीब 900-900 बिलियन डॉलर हेल्थ और डिफेंस जैसे खर्चों पर लगाती है. अमेरिका की जीडीपी 30.51 ट्रिलियन डॉलर है, लेकिन उसका कर्ज इससे भी ज्यादा यानी 37.95 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है. अगर तुलना करें तो चीन की जीडीपी 19.23 ट्रिलियन डॉलर और कर्ज 16.98 ट्रिलियन डॉलर है. वहीं भारत की जीडीपी 4.19 ट्रिलियन डॉलर और कर्ज 3.41 ट्रिलियन डॉलर है.
जुलाई महीने में अमेरिका का बजट डेफिसिट 291 अरब डॉलर रहा. पहले 10 महीनों में यह घाटा बढ़कर 1.63 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो इतिहास का तीसरा सबसे बड़ा घाटा है. ट्रंप लगातार ब्याज दरों में कटौती की मांग कर रहे हैं, लेकिन फेडरल रिजर्व (Fed Reserve) अब तक ऐसा करने से बच रहा है. उम्मीद की जा रही है कि फेड रिजर्व सितंबर में दरें कम कर सकता है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे अमेरिका के ब्याज भुगतान पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका बॉन्ड यील्ड पर ब्याज चुकाता है, फेड रेट पर नहीं और बॉन्ड यील्ड पर फेड का कोई कंट्रोल नहीं है.