Budh Pradosh Vrat 2025 : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, इस साल 20 अगस्त 2025, बुधवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस दिन का महत्व इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि इस बार व्रत के दिन दुर्लभ सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है.
बुध प्रदोष व्रत पर सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोगइस बार का बुध प्रदोष व्रत बेहद खास होने वाला है, क्योंकि इस दिन एक दुर्लभ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. पंचांग के अनुसार, 20 अगस्त 2025 को सिद्धि योग और पुनर्वसु नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनेगा. ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है. इस योग में की गई पूजा, अनुष्ठान और शुभ कार्य बहुत ही जल्द फल देते हैं. सिद्धि योग में शुरू किए गए हर काम में सफलता मिलती है.
वृषभ, कुंभ, तुला, कन्या राशि वालों को होगा जबरदस्त फायदावृषभ राशि: इस राशि के जातकों को धन लाभ होने के प्रबल योग बन रहे हैं. आपको कोई रुका हुआ पैसा वापस मिल सकता है या व्यापार में बड़ा मुनाफा हो सकता है. नौकरीपेशा लोगों को तरक्की मिलने के योग हैं. परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल रहेगा.
कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों के लिए यह दिन खुशियां लेकर आएगा. आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और आय के नए स्रोत खुलेंगे. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. इस दौरान आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी.
तुला राशि: तुला राशि वालों के लिए यह योग किसी वरदान से कम नहीं है. आपके जीवन में चल रही परेशानियां खत्म होंगी. करियर में सफलता के नए रास्ते खुलेंगे. आप कोई नया काम शुरू कर सकते हैं, जिसमें आपको बड़ी सफलता मिलेगी.
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों की किस्मत इस दिन चमक सकती है. आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी. खासकर व्यापार और नौकरी में बड़ी तरक्की के योग बन रहे हैं. लंबे समय से अटके हुए कार्य पूरे होंगे.
बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधिबुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा करना शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें. प्रदोष काल यानी शाम के समय, भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं. भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, फूल, भांग, शहद, शक्कर आदि अर्पित करें. शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. आखिर में आरती कर भगवान से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें.
बुध प्रदोष व्रत का महत्वबुधवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत बुध प्रदोष कहलाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है. शिवजी की कृपा से व्यापार और करियर में सफलता भी प्राप्त होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.