भोपाल, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजधनी सहित पूरे प्रदेश में न्यायिक और गैर न्यायिक विभाजन से नाराज तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है। मंगलवार से भोपाल के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार काम पर लौट आए है। हड़ताल के चलते राजधानी की तहसीलों में करीब छह हजार से अधिक प्रकरण लंबित हो गए हैं। अब इनका निराकरण करने तहसीलदारों के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। बता दें कि मप्र राजस्व अधिकारी (कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा) संघ के नेतृत्व में हड़ताल की जा रही थी।
दरअसल, न्यायिक और गैर न्यायिक विभाजन से नाराज तहसीलदार पिछले 13 दिन यानी, 6 अगस्त से ही काम बंद विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। सोमवार को राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा एवं विभाग के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात के बाद उन्होंने काम पर लौटने का निर्णय लिया। जिसके बाद मंगलवार को भोपाल में सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार काम पर लौट आए। बता दें कि भोपाल में नामांतरण, सीमांकन, फौती नामांतरण, मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस सहित करीब 500 से अधिक मामले रोजाना आते हैं। इसके अलावा हर दिन करीब 300 प्रकरणों में तहसीलदार, नायब तहसीलदार सुनवाई करते हैं। इस वजह से दो दिन में ही 600 से ज्यादा केस की पेशियां आगे बढ़ा दी गई है। अब तक पेंडिंग केस का आंकड़ा 6 हजार तक पहुंच गया है।
भोपाल में बैरागढ़, कोलार, एमपी नगर, शहर वृत्त, बैरसिया और टीटी नगर तहसील हैं। इनके तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को न्यायिक और गैर न्यायिक कार्य में विभाजित किया है। यानी, जो अधिकारी न्यायिक कार्य कर रहे हैं, वे फिल्ड में नहीं है। वहीं, फिल्ड वाले अधिकारी न्यायिक कार्य नहीं कर रहे। इस व्यवस्था का वे भी विरोध कर रहे थे। इसके साथ ही कुल 8 मांगों को लेकर विरोध किया जा रहा था। इनमें से 7 मांगों पर सहमति बनने के बाद मंगलवार से तहसीलदार और नायब तहसीलदार काम पर लौट आए।
प्रमुख बिंदुओं पर बनी सहमति
संघ के पदाधिकारियों और अफसरों के बीच दो घंटे से अधिक समय तक बैठक चली। इसमें न्यायिक और गैर न्यायिक शब्दावली में बदलाव किया जाएगा। संघ का प्रस्ताव है कि गैर न्यायिक शब्द हटाया जाए, जिसके स्थान पर कार्यपालिक दंडाधिकारी शब्द का उपयोग किया जाएगा। इस पर शासन ने सहमति दी है। जिलों में अभी लागू की गई व्यवस्था में जिला मुख्यालय में पदस्थ और फील्ड में पदस्थ तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की संख्या पर की गई आपत्ति को भी शासन ने बदलने की सहमति दी है। अब कलेक्टरों से अभिमत लेकर संख्या तय की जाएगी। राजस्व अधिकारियों को रेवेन्यू कोर्ट का मर्जर नहीं करने का भी आश्वासन मिला है। तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के ग्रेड-पे के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बनी है। इसके लिए अलग से चर्चा करने की बात शासन के अधिकारियों ने की है।
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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे