श्रीनगर, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने आज केंद्रीय गृह मंत्रालय और कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सहयोग से टैगोर हॉल श्रीनगर में मानव तस्करी विरोधी पर केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया।
इस सम्मेलन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, सरकारी प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों, गैर-सरकारी संगठनों, कानूनी विशेषज्ञों और हितधारकों ने मानव तस्करी से निपटने की रणनीतियों, चुनौतियों और सहयोगात्मक उपायों पर विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, पुलिस मुख्यालय के विशेष महानिदेशक समन्वय एस.जे.एम. गिलानी ने तस्करी से संबंधित कानूनी ढांचे, नेटवर्क, अभियोजन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी शोषण के अन्य रूपों से जुड़ी हुई है क्योंकि तस्कर अक्सर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क का ही इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा मानव तस्करी को जो अलग करता है वह है बिखरी हुई ज़िंदगियों, टूटे हुए परिवारों और पीड़ितों को लंबे समय तक झेलने वाले आघात की मानवीय कीमत। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस अपराध के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए सिर्फ़ क़ानूनी कार्रवाई ही नहीं बल्कि सहानुभूति और पुनर्वास की भी ज़रूरत है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि की दर कम बनी हुई है यह एक ऐसा रुझान है जो कमज़ोर क़ानूनी कार्रवाई, प्रक्रियागत देरी और भ्रष्टाचार में निहित वैश्विक चुनौतियों को दर्शाता है।
गिलानी ने ज़ोर देकर कहा कि रोकथाम को तस्करी-रोधी रणनीतियों के केंद्र में होना चाहिए, ख़ासकर सीमावर्ती और संघर्षरत क्षेत्रों में। उन्होंने कहा शिक्षित, आर्थिक रूप से सुरक्षित और अधिकारों के प्रति जागरूक समुदाय शोषण के प्रति कम संवेदनशील होते हैं।
तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि उन्नत निगरानी और डेटा-संचालित हस्तक्षेप तस्करी के ख़िलाफ़ कार्रवाई को मज़बूत कर सकते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा हम सभी जानते हैं कि सिर्फ़ क़ानून ही काफ़ी नहीं हैं। उनके कार्यान्वयन की भावना, हमारे प्रवर्तकों की सहानुभूति और हमारे नागरिकों की जागरूकता ही वास्तव में स्थिति को बदल सकती है।
उन्होंने कहा कि मानव तस्करी विरोधी इकाइयों और क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए पहले से ही आवश्यक शक्तियाँ और प्रासंगिक क़ानून मौजूद हैं। उन्होंने इस गंभीर अपराध से निपटने में जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा अगर हम सतह के नीचे देखें तो हम पाते हैं कि तस्करी बेहद संगठित है – लेकिन इसके ख़िलाफ़ लड़ाई भी उतनी ही संगठित है।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता