काठमांडू, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को समर्थन देने वाले दो दलों के समर्थन वापस लेने के बाद भी संवैधानिक प्रावधानों के तहत सदन में विश्वास का मत नहीं लेने के मामले में आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की जाएगी।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार से नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी नेपाल ने 45 दिन पहले ही अपना समर्थन वापस ले लिया था। इनमें नागरिक उन्मुक्ति पार्टी सरकार में शामिल थी तो जनता समाजवादी पार्टी बाहर से समर्थन दे रही थी। नेपाल के संविधान में प्रावधान है कि यदि सरकार में शामिल कोई दल समर्थन वापस लेता है तो ऐसे में प्रधानमंत्री को 30 दिन के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा, लेकिन 45 दिन के बाद भी ऐसा न होने पर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिस आज सुनवाई शुरू हो रही है।
यूएमएल पार्टी के महासचिव शंकर पोखरेल ने कहा कि सरकार बनाने का दावा पेश करते समय सिर्फ नेपाली कांग्रेस और यूएमएल पार्टी के समर्थन से सरकार का गठन किए जाने का पत्र दिया गया था इसलिए बाकी दलों के समर्थन देने या वापस लेने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता वीरेन्द्र केसी का तर्क है कि नेपाल के संविधान में प्रावधान है कि जब सरकार में शैल कोई दल सरकार से बाहर हो जाता है या समर्थन वापस ले लेता है, तो ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर ही सदन में विश्वास मत लेना होगा।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास