आज कुशोत्पाटिनी अमावस्या है, जो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। इसे पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है, जो विशेष रूप से पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कुशोत्पाटिनी अमावस्या का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है। भाद्रपद मास की अमावस्या इस दिन कुश नामक पवित्र घास को एकत्रित किया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। सनातन परंपरा में अमावस्या के देवता पितर माने जाते हैं, इसलिए इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण का महत्व बढ़ जाता है। जब यह अमावस्या भाद्रपद मास में आती है, तब इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 22 अगस्त को सुबह 11:55 बजे शुरू होगी और 23 अगस्त की सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, उदया तिथि के अनुसार, पिठोरी अमावस्या का व्रत 22 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।
पंडितों के अनुसार, इस दिन सुबह स्नान करके पितरों के नाम से तिल, जल और पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा करके उसमें जल चढ़ाना और दीपक जलाना पितृ दोष को शांत करता है।
इस दिन जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितरों को संतोष मिलता है और पितृ दोष दूर होता है।
तिल, चावल, आटा, कपड़ा और दक्षिणा का दान करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या को मातृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन संतानवती महिलाएं देवी दुर्गा की पूजा कर अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। पितरों का श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए श्राद्ध से पितर तृप्त होते हैं और परिवार पर खुशहाली का आशीर्वाद बरसाते हैं।
इस दिन किया गया दान भी शुभ माना जाता है। इससे पितृदोष का असर खत्म होता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी कल्याणकारी होता है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन भगवान की पूजा-पाठ करना चाहिए।