उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा: गांवों में राहत की कमी और बढ़ती मुश्किलें
newzfatafat August 27, 2025 05:42 AM
उत्तरकाशी में संकट की स्थिति उत्तरकाशी जिले के सीमांत क्षेत्रों में आई प्राकृतिक आपदा को बीस दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन स्थिति में सुधार के बजाय और भी गंभीरता आ रही है। धराली के खीरगंगा और तेलगाड़ में आई तबाही के बाद गांवों में सन्नाटा और बेबसी का माहौल है। सुक्की, मुखबा, हर्षिल, जसपुर, पुराली, झाला, बगोरी और धराली जैसे आठ गांव अब भी उस दहशत में जी रहे हैं जो बीती रातों ने छोड़ी है।

गंगोत्री हाईवे का बंद रहना सबसे बड़ी समस्या बन गया है। बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक के कारण गांवों में न तो रसोई गैस पहुंच रही है और न ही आवश्यक राशन। प्रशासन ने राहत सामग्री भेजी है, लेकिन यह बड़ी संख्या वाले परिवारों के लिए अपर्याप्त साबित हो रही है।


बाढ़ का खतरा अब भी बना हुआ है। तेलगाड़ और खीरगंगा की धाराएं पहले जैसी तेज बहाव में हैं। पिछले रविवार की रात जब तेलगाड़ फिर से उफना, तो हर्षिल के निवासियों को पिछले हादसे की याद आ गई। कई परिवार रात के अंधेरे में सुरक्षित स्थानों की तलाश में निकल पड़े। अब डर मौसम से नहीं, बल्कि पानी से है, जो कभी भी फिर से कहर बरपा सकता है।


हर्षिल के पूर्व ग्राम प्रधान दिनेश रावत के अनुसार, हाईवे का बंद रहना अब किसी आपदा से कम नहीं है। गांवों में न केवल एलपीजी सिलेंडर की कमी हो रही है, बल्कि राशन भी तेजी से खत्म हो रहा है। "राहत सामग्री आई है, लेकिन यह कितने दिन चलेगी? प्रशासन को चाहिए कि हाईवे को जल्द खोले, वरना लोग भूखे रहने को मजबूर हो सकते हैं," रावत ने कहा।


बिजली और मोबाइल नेटवर्क दोनों ही सेवाएं पिछले रविवार रात से ठप हैं। छह गांवों में बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से बंद है और सोमवार सुबह से मोबाइल नेटवर्क भी गायब हो गया है। लोग अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं और बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट चुके हैं। इस माहौल में डर, घबराहट और असहायता बढ़ती जा रही है।


जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दुल गुसाईं के अनुसार, गंगोत्री हाईवे पर नलूणा के पास हुए भूस्खलन ने बिजली की लाइनों और टावरों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है। "भूस्खलन लगातार जारी है। जब तक मलबा गिरना बंद नहीं होता, तब तक मरम्मत शुरू नहीं हो सकती," उन्होंने बताया।


हालात यह दर्शाते हैं कि प्रशासन द्वारा भेजी गई राहत सामग्री सीमित मात्रा में है और सड़क बंद होने के कारण नई सप्लाई की कोई गारंटी नहीं है। गांव के लोग मानते हैं कि यदि शुरुआत में ही हाईवे को प्राथमिकता दी जाती, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।


आगे की स्थिति यह है कि यदि मौसम ने साथ नहीं दिया और भूस्खलन जारी रहा, तो ये गांव अगले कुछ हफ्तों तक राहत से दूर रह सकते हैं। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि कैसे जल्द से जल्द हाईवे खोला जाए और गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा जाए।


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